विषम परिस्थिति
देश में कोरोना विषाणु संक्रमण की रफ्तार और तेज हो गई है। पिछले 24 घंटे में 83 हजार नये मामले दर्ज किए गए।
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बीते सोमवार को छोड़कर लगातार करीब 80 हजार नये मामले सामने आ रहे हैं जो चिंतित करने वाले हैं। इस महामारी से संक्रमितों का आंकड़ा देखते-देखते ही 38 लाख को पार कर गया है। हालांकि अच्छी बात यह है कि अब तक 29 लाख से अधिक मरीज स्वस्थ होकर घर लौट गए हैं।
अगर इसकी रफ्तार यही रही तो भारत संक्रमण के मामले में एक-दो दिन में ही ब्राजील को पछाड़कर दुनिया में दूसरे पायदान पर पहुंच जाएगा। इसलिए चिंता की बात यह है कि जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, रेल और मेट्रो सेवाएं सामान्य होंगी वैसे-वैसे कोरोना विषाणु अपना पंख भी फैलाएगा। पिछले सोमवार को सरकार ने आर्थिक विकास दर के जो आंकड़े जारी किए हैं, उनसे साफ संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी का जबरदस्त असर पड़ा है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2020 के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। इसे ऐतिहासिक माना जा रहा है। देश में कोरोना महामारी की वजह से कठोरता से लागू किए गए लॉकडाउन का यह नतीजा है क्योंकि उस दौरान आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप थीं। यह अनलॉक का चौथा चरण चल रहा है, लेकिन अभी भी आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से शुरू नहीं हुई हैं। रेल और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें सीमित संख्या में संचालित की जा रही हैं। स्कूल, कॉलेज और सिनेमाहॉल बंद हैं।
कोरोना वैश्विक महामारी है इसलिए अमेरिका, इंग्लैंड सहित इस महामारी से प्रभावित सभी देशों के विकास दर में गिरावट दर्ज की गई है। जाहिर है अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने की कोशिश करनी होगी। यह देखते हुए कि कोरोना महामारी का संकट अभी पूरी तरह बरकरार है, सरकार को आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने की दिशा में फूंक-फूंक कर कदम उठाने होंगे। कह सकते हैं कि सरकार के सामने विषम परिस्थितियां हैं। घरेलू मोच्रे पर कोरोना और चरमराते आर्थिक हालात हैं तो बाह्य स्तर पर चीन अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। देखना है कि मोदी सरकार इन चुनौतियों का मुकाबला कैसे करती है?
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