चीन की चालबाजी
एक बार फिर चीन की नापाक हरकत और ढिठाई सामने आई है। भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक बार फिर बॉर्डर पर झड़प हुई है।
चीन की चालबाजी |
29 अगस्त को ईस्टर्न लद्दाख क्षेत्र में पैंगोंग झील इलाके के पास दोनों देशों के सैनिक 29-30 अगस्त की रात को आमने-सामने आए। चीनी सेना के जवानों ने यहां पर घुसपैठ की कोशिश की, जिसे भारतीय सेना के जवानों ने नाकाम कर दिया। हालांकि, चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी कर इस तरह की किसी घुसपैठ से इनकार किया गया है।
यानी चीन अपनी बेशर्मी और कायराना हरकत बदस्तूर जारी रखे है। तमाम स्तर की बातचीत और समझ बनाने का उस पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा है। उसकी ‘हड़प नीति’ और पड़ोसी देशों के साथ लगातार खराब होते संबंधों को अगर संजीदगी से परखें तो ऐसा लगता है, उसकी नीयत में ही खोट है। उसे यह भी समझ में नहीं आया है कि भारत अब 1962 वाला देश नहीं रहा। अगर चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों और कुटिलता का दमन नहीं करेगा तो आने वाले दिनों में उसे कई मोचरे पर मुंह की खानी पड़ेगी।
कुछ अरसा पहले ऑस्ट्रेलिया के गृह राज्य मंत्री ने कहा था कि ऑस्ट्रेलिया दुनिया की समर्थ देशों में से एक है, लेकिन वो अब चीन की दादागिरी से परेशान है। और सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और भारत ही नहीं, ताइवान, भूटान, जापान के साथ भी उसके रिश्तों में काफी कसैलापन है। जहां एक तरफ भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा और सीमा पर शांति स्थापित करने की कवायद करता है और बातचीत के जरिये विवाद को सुलझाना चाहता है; इसके उलट चीन भारत की जमीन पर कब्जा करने की गंदी चाल चलने और साजिश रचता रहता है। शायद उसे भारत की ताकत का अंदाजा नहीं है।
चीन की चालाकी को देखते हुए ही भारत ने दो दिन पहले दक्षिण चीन सागर में अपने युद्धपोत की तैनाती की। साथ ही भारत-चीन सीमा पर राफेल और अन्य युद्धक विमानों की तैनाती की उसकी योजना है। चीन को इस बात की भी खीज है कि भारत के संबंध लगातार अमेरिका से मजबूत हो रहे हैं। इससे पहले भी भारत और चीन के जवान 15 जून को लद्दाख बॉर्डर के पास ही गलवान घाटी में आमने-सामने आए थे, जहां पर भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। तब भारत ने चीन को माकूल जवाब दिया था। अब वक्त आ गया है उसे उसी की भाषा में जवाब दिया जाए।
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