गिरावट का अनुमान

Last Updated 09 Jul 2020 01:18:23 AM IST

भारत की अर्थव्यवस्था में 2020 की दूसरी तिमाही अप्रैल-जून में द्विअंकीय यानी दस प्रतिशत या उससे ज्यादा गिरावट आने का अंदेशा है।


गिरावट का अनुमान

कोविड-19 महामारी के चलते आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश के चलते यह आकलन लगाया गया है। गौरतलब है कि जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी। इसे देखते हुए कह सकते हैं कि यह आकलन जीडीपी में भारी गिरावट दर्शाता है।

और लगता नहीं है कि इस वित्तीय वर्ष की शेष अवधि में इतनी गिरावट की भरपाई हो सकेगी क्योंकि आर्थिक गतिविधियों का सिलसिला एकदम से जमाने में तमाम दिक्कतें दरपेश हैं। उद्योगों ने महामारी के कारण रोकी गई गतिविधियों को अनलॉक किए जाने के उपरांत अपनी यूनिटें चालू तो कर दी हैं, लेकिन उन्हें लेबर की कमी और कच्चे माले की आपूर्ति में अड़चनों को सामना करना पड़ रहा है।

धीरे-धीरे ये अड़चनें हट रही हैं। फिर भी कहना होगा कि दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था को खोलने और संक्रमण पर नियंत्रण न हो पाने की वजह से अर्थव्यवस्था में अनिश्चिता बनी रहेगी। बहरहाल, इतना जरूर कहा जा सकता है कि तीसरी तिमाही जुलाई-सितम्बर में अर्थव्यवस्था में मामूली सुधार हो सकता है। हालांकि यह भी है कि तीसरी तिमाही में संक्रमण चरम पर होगा।

संक्रमण के मामले ज्यादा होने से आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने के अपेक्षित नतीजे नहीं निकलेंगे। इसलिए वर्ष 2020 के जीडीपी में वृद्धि दर संबंधी आंकड़े नकारात्मक रहेंगे। डीबीएस सिंगापुर स्थित बैंकिंग समूह है। समूह अपने आंतरिक जीडीपी गणना मॉडल के जरिए तत्काल आधार पर मौजूदा और आने वाली तिमाहियों के जीडीपी आंकड़ों का अनुमान लगाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समूचे वर्ष के दौरान महामारी से संघर्ष और अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार के बीच संतुलन की चुनौती अधिकारियों को हलकान किए रहेगी।

दरअसल, इस दौरान घरेलू उड़ानों और ट्रेनों का परिचालन बढ़ाया जाना है। कंटेनमेंट जोन से बाहर धार्मिक स्थल, होटल और मॉल खोले जाने हैं। यही वह समय भी होगा जब संक्रमण के मामले चरम पर होंगे। कह सकते हैं कि अधिकारियों के समक्ष कड़ी चुनौती होगी। वैसे पूरे वर्ष के लिए सालाना आधार पर अनुमान है कि जीडीपी में वृद्धि दर में 4.8 प्रतिशत की गिरावट रह सकती है। बहरहाल, कोरोना महामारी के चलते अनिश्चितता की स्थिति अभी बनी रहनी है, और इसी के बीच हमें आर्थिक हालात भी साजगार करने होंगे।



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