नहीं सुधरेगा चीन
उत्तर सिक्किम के नाकुला सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प ने एक बार फिर चीन के चरित्र को उजागर किया है।
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हालांकि चीन को समझ आ जाना चाहिए कि यह पहले वाला भारत नहीं है। भारतीय सैनिकों ने उनको पीछे धकेलने के लिए जितना आवश्यक था बल प्रयोग किया। इसमें दोनों तरफ के जवान घायल हुए। यह परिणति बताती है कि चीनी सैनिक कितने आक्रामक रहे होंगे। सौम्यता का जवाब ज्यादा सौम्यता से और आक्रामकता का जवाब ज्यादा आक्रामकता से देना; यही अब भारत की नीति है। पूर्वी लद्दाख में भी 5 और 6 मई को दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए थे। हालांकि उस दौरान बातचीत से मामले को सुलझा लिया गया।
उत्तर सिक्किम में मुगुथांग के आगे नाकुला सेक्टर है। यह इलाका 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर है। वैसे सिक्किम में पहले चीनी सैनिक घुस जाते थे तथा विरोध करने पर वापस चले जाते थे। लेकिन इस बार काफी लंबे समय बाद ऐसा हुआ है एवं झड़प भी हाल के वर्षो में देखने को नहीं मिला था। सामान्य तौर पर सीमा विवाद के कारण दोनों सैनिकों के बीच हल्की मोर्चाबंदी होती रहती है और प्रोटोकॉल के तहत सुलझा लिया जाता है। प्रश्न है कि जब भारत उनकी सीमा में कभी प्रवेश नहीं करता तो वे क्यों करते हैं? यह ऐसा सवाल है, जिसका जवाब भारत ने आपसी बातचीत में चीन के समक्ष रखा है। चीन की रणनीति सीमा को लेकर हमेशा भारत को दबाव में रखने की रही है। इसलिए वह इसे सुलझाना भी नहीं चाहता। पूर्वी क्षेत्र में पूरे अरुणाचल प्रदेश पर वह दावा करता है तो पश्चिम के बारे में कहता है कि उसमें पाकिस्तान भी एक पक्ष है। यह उसकी दुर्नीति है।
अब भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर में संवैधानिक एवं राजनीतिक परिवर्तन को जिसमें लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया, वह स्वीकार नहीं कर रहा। भारत गिलगित बाल्तिस्तान सहित पाक अधिकृत कश्मीर पर जिस तरह मुखर होता जा रहा है उससे वह परेशान है। उसका एक हिस्सा उसके पास भी है तथा चीन पाकिस्तानआर्थिक गलियारा उस क्षेत्र से गुजरता है। उसे लगता है कि भारत आने वाले समय में आक्रामक हो सकता है। चीन को भारत का यह चरित्र स्वीकार नहीं है। हालांकि उसे नहीं भूलना चाहिए कि डोकलाम में भारत ने उसका किस तरह डटकर मुकाबला किया और उसे अपना कदम वापस लेने का मजबूर किया। भारत आगे भी ऐसा करेगा। चीन अगर इसे समझ जाए तो सबके लिए अच्छा होगा।
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