संपूर्ण लॉकडाउन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तीन सप्ताह के लिए पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कोरोना महमारी के प्रकोप एवं उसके विस्तार से बचाव के लिए उठाया गया कदम है।
संपूर्ण लॉकडाउन |
22 मार्च के अपने संबोधन में जब उन्होंने जनता कफ्र्यू की अपील की उसी समय कहा था कि हमें आपका कुछ सप्ताह का समय चाहिए। दुनिया भर में कोरोना महामारी के भयानक प्रकोप को देखते हुए इससे बचाव का एकमात्र और श्रेष्ठ विकल्प यही है कि लोगों को उनके घरों में या जहां हैं वहीं सीमित कर दिया जाए। आत्मकैद की स्थिति के लिए निश्चय ही गहरे दृढ़ संकल्प एवं उच्च स्तर के संयम की आवश्यकता होती है।
जिन देशों ने यह संकल्प एवं संयम दिखाया वो भारी प्रकोप से अपने को सुरक्षित बचाने में सफल हैं और जिनने नहीं दिखाया उनके यहां स्थिति को नियंत्रण करना कठिन हो रहा है। उदाहरण के लिए दक्षिण कोरिया और सिंगापुर ने अपने को बचा लिया, जबकि अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन, ईरान आदि आरंभ में सख्ती नहीं बरतने के कारण बुरी तरह फंसे हुए हैं। अमेरिका जैसे दुनिया की सबसे बेहतर प्रणाली वाले देश में 700 से ज्यादा लोगों का मर जाना तथा 50 हजार से ज्यादा का संक्रमित होना सामान्य बात नहीं है। वह भी तब जब पिछले करीब दो सप्ताह से वहां स्वास्थ्य आपातकाल लागू है।
चीन ने भी जब पूरी निष्ठुरता से अपने यहां कई राज्यों में लॉकडाउन किया तभी वहां की स्थिति नियंत्रित हुई। अभी तक अध्ययन तथा अनुभवों के बाद विशेषज्ञों का निष्कर्ष है कि कोरोना वायरस के चक्र को तोड़ने के लिए कम-से-कम तीन सप्ताह तक सम्पूर्ण बंदी चाहिए। पूरा वातावरण को खुला छोड़ दिया जाए, लोग एक दूसरे के संपर्क में नहीं आएं, दुनिया से तो देश कटे ही, हम भी एक दूसरे से कट जाएं..। भारत ने पहले ही कई कदम उठा लिये थे। स्कूल, कॉलेज, मॉल, मल्टीप्लेक्स, रोस्टोरेंट, सभाएं आदि बंद हुए। फिर अंतरराष्ट्रीय उड़ान, यात्री रेल, घरेलू उड़ानें आदि।
लॉकडाउन की भी घोषणा हुई, जिसका पालन बहुमत ने किया। पर एक तबका इसकी गंभीरता को समझ ही नहीं रहा था, इसलिए कई राज्यों को कफ्र्यू तक लगाना पड़ा। इसमें चारा यही था कि कर्फ्यू सदृश सम्पूर्ण लॉकडाउन कर दिया जाए। निस्संदेह, हम सबको इससे अनेक परेशानियां आ रहीं हैं, लेकिन हजारों लोग संक्रमित हों, मारे जाएं, हाहाकार मचे उससे बचने का इसके अलावा कोई विकल्प नहीं हैं। हां, गरीब, लाचार, दैनिक मजदूर, रिक्शा-टेम्पो चालक, रेहड़ी-पटरी वालों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।
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