भयाक्रांत भविष्य का आईना
यूं 24 मार्च, 2020, मंगलवार को मुंबई शेयर बाजार का सूचकांक सेंसेक्स करीब 693 बिंदुओं की बढ़त (2.67 प्रतिशत की बढ़त) के साथ बंद हुआ, पिछले बंद स्तर के मुकाबले।
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पर 23 मार्च, 2020 सोमवार को सेंसेक्स ने 13.2 प्रतिशत की एक दिन की गिरावट के साथ 23 मार्च को नकारात्मक तौर पर ऐतिहासिक दिन बना दिया। 23 मार्च को सेंसेक्स करीब 4000 बिंदु गिरा। एक दिन में सेंसेक्स ने 23 मार्च से पहले कभी भी 13.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज नहीं की। इससे पहले 28 अप्रैल 1992 को सेंसेक्स एक दिन में 12.8 प्रतिशत गिरा था। वह वक्त हषर्द घोटाले के दौर था।
भारतीय शेयर बाजार ही नहीं, दुनिया भर के शेयर बाजार इस समय भयंकर अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। शेयर बाजारों में यूं भी आशंकाओं और आशाओं के अतिरेक दिखते हैं। कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत ज्यादा चिंताजनक इसलिए है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बिना कोरोना वायरस के भी सुस्ती का शिकार थी। इस सुस्ती को मंदी या महामंदी की ओर ले जाने का काम कोरोना वायरस करेगा, इस आशंका का शिकार शेयर बाजार भी हैं।
तमाम उद्योगों में अफरातफरी का माहौल है। उद्योग धंधे ठप हैं। लगभग पूरा भारत लॉकडाउन में है। सरकार से उम्मीद है कि वह कोई आर्थिक पैकेज देगी। सवाल यह है कि उद्योग धंधे जब कारोबार ही ना कर पाएंगे, तो बैंकों का कर्ज कैसे चुकाएंगे। निजी बैंकों के शेयर भयंकर गिरावट का शिकार हुए। कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था में विकट अनिश्चितता है। कोरोना वायरस जनित समस्याओं के हल तो कुछेक हफ्तों में निकलने के आसार हैं, पर कोरोना की जो चोट भारतीय अर्थव्यवस्था को पड़ रही है, उसके निशान जाने में कई सालों लग जाएंगे।
कुल मिलाकर शेयर बाजार की चाल में उद्योग जगत से जुड़ी आशाओं और आशंकाओं को देखा जाना चाहिए। ऑटोमोबाइल उद्योग की बड़ी कंपनियों ने उत्पादन रोक दिया है, वजह साफ है कि ऐसी अनिश्चितता के माहौल कार और बाइक खरीदना किसी की प्राथमिकता में ना होगा। लॉकडाउन के चलते तमाम कारोबार बंद हैं, पीएम मोदी को अपील करनी पड़ रही है कि उनका वेतन ना काटा जाए। पूरे मसले सबसे महत्त्वपूर्ण और चिंताजनक तथ्य यह है कि यह आशंकाएं कब खत्म होंगी, इस सवाल का जवाब किसी के पास भी नहीं है।
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