संकट में अर्थव्यवस्था
कोरोना का रिश्ता अब सिर्फ सेहत से नहीं रहा, इसके असर का दायरा बहुत ही व्यापक हो गया है। दुनिया भर के शेयर बाजारों में भयंकर उतार-चढ़ाव हो रहा है।
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बाजार, निवेशक इस कदर आतंकित हैं कि अमेरिका के कैंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के फैसले के बाद भी बाजार संभलने का नाम नहीं ले रहा है। भारतीय रिजर्व बैंकके गवर्नर ने भी सोमवार 16 मार्च को जो कहा, उसका आशय यह था कि रिजर्व बैंक कोरोना के खतरे पर नजर बनाए हुए है और करीब एक लाख करोड़ रु पये की तरलता के प्रवाह के इंतजाम लांग टर्म रिपो आपरेशन्स के जरिये रिजर्व बैंक कर रहा है।
कोरोना की आशंकाओं के चलते कई देशों से उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया गया, सरकारें प्रेरित कर रही हैं कि लोग घर में रहें। इस तरह की स्थितियों का सबसे बुरा असर पर्यटन, होटल, एयरलाइंस के धंधो पर पड़ने की आशंका है। एयरलाइंस कारोबार की सलाहकार फर्म सेंटर फार एशिया पेसिफिक एविएशन ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस दुनिया भर के एयरलाइन कारोबारों को दिवालियेपन की ओर धकेल रहा है। भाजपा सांसद राजीव प्रताप रु डी ने सरकार से कहा कि वह पर्यटन से जुड़ी कंपनियों को कर राहत दे।
केंद्र सरकार पहले राजस्व संग्रह की चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में रु डी की बात मानी जाएगी, इस बात के आसार न के बराबर हैं। बड़ी चुनौतियां असंगठित क्षेत्र के कारोबारियों के लिए हैं। लोग घूमने-फिरने नहीं जा रहे हैं। रेस्टोरेंट खाली पड़े हैं। आइसक्रीम बेचनेवालों की रोजी रोटी के संकट भी खड़े होने की आशंका है। अगर 2020-21 में अर्थव्यवस्था पांच से छह प्रतिशत की विकास दर हासिल करती, तो कोरोना के चलते अब इसमें चार से पांच प्रतिशत विकास दर का अनुमान ही अब लगाया जा सकता है।
कोरोना के चलते या कच्चे तेल की कीमत युद्ध के चलते भारत को कच्चे तेल के भावों में कमी से जरूर फायदा मिलने के आसार हैं। कच्चे तेल के भाव लगातार गिर रहे हैं, सऊदी अरब और रूस के बीच कीमत युद्ध छिड़ गया है। मोटे तौर पर यही उम्मीद की जानी चाहिए कि कोरोना के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से हो सके। कुल मिलाकर कोरोना ने सिर्फ मानवीय जीवन को ही नहीं, विश्व की आर्थिक व्यवस्था को भी संकट में डाल दिया है।
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