सुधीर धर का जाना
भारतीय कार्टूनिंग की दूसरी पीढ़ी के सबसे प्रतिभावान कार्टूनिस्टों में से एक रहे सुधीर धर का निधन भारतीय कार्टूनिंग की दुनिया के एक प्रकाश स्तम्भ का अस्त हो जाना है।
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सुधीर धर उस दौर के कार्टूनिस्ट हैं जिसका प्रतिनिधित्व आर.के. लक्ष्मण, राजेंदर पुरी, अबू अब्राहम, ओ.वी. विजयन व मारिओ जैसे दिग्गज करते हैं।
सुधीर धर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह राजनीति, अर्थ, खेल सहित तमाम सामाजिक विषयों पर समान अधिकार से हास्य-व्यंग्य परोसने में पारंगत थे। वह कभी किसी राजनीतिक व्यक्ति विशेष को लक्ष्य करके अपनी बात नहीं कहते थे बल्कि भ्रष्टाचार, ब्यूरोक्रेसी, पार्टयिों की अंदरूनी कलह, दोहरेपन, चाल-चरित्र, सामाजिक विद्रूपताओं, समस्याओं पर सामूहिक कटाक्ष करने की शैली अपनाते रहे हैं। कश्मीरी मूल के सुधीर का जन्म प्रयागराज में 1932 में हुआ।
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भूगोल विषय में परास्नातक किया। इसके बाद 1960-61 में वह ऑल इंडिया रेडियो में जब एनाउंसर के रूप में सेवाएं दे रहे थे उसी दौरान एक रोचक घटना ने उनके कॅरियर को बिल्कुल नई दिशा दी। हुआ यह कि ‘द स्टेट्समैन’ के न्यूज एडिटर से वार्ता के दौरान धर ने उनका स्केच बना दिया। इससे वह बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने धर को अखबार में काम करने का ऑफर दे डाला। यहीं से 1960 में बिना किसी प्रशिक्षण के सुधीर के कार्टूनिंग के कॅरियर की शुरु आत हुई।
संपादक एवन चार्लटन के अधीन काटरूनिंग की शुरु आत करने वाले धर ने सात साल यहां प्रतिदिन पहले पेज पर लाजवाब पॉकेट कार्टून बनाए। 1967 में ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में बतौर पॉलिटिकल स्टाफ कार्टूनिस्ट के रूप में आ गए। यहां दो दशक से अधिक समय तक सेवाएं दीं। 1989 में नाराज होकर इस्तीफा दे दिया। ‘डेली टाइम्स’ होते हुए ‘द पॉयनियर‘ में आ गए। सन 2000 में अखबारी दुनिया को अलविदा कह दिया।
‘पंच’ व ‘सैटरडे इवनिंग पोस्ट’ से प्रभावित धर के. शंकर पिल्लई व एनवार अहमद के काम से भी प्रभावित थे। वह डवे बर्ग को गुरु की तरह मानते थे व उनकी स्टाइल में काम करते थे। सुधीर ने लगभग एक दर्जन किताबें लिखी व कई दर्जन किताबों में इलस्ट्रेशन बनाए। पर्यटन मंत्रालय, विदेश मंत्रालय व र्वल्ड बैंक के लिए काम किया। ‘मैड’ मैगजीन सहित तमाम देशों के शीर्ष अखबारों में छपे व सम्मानित हुए। धर का जाना अपूरणीय क्षति है।
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