जेएमबी का बढ़ता दायरा

Last Updated 22 Oct 2019 05:12:49 AM IST

भारत में पांव पसार रहा जमात-उल-मुजादिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) भारत में करीब 40 प्रतिशत भू-भाग पर अपना जाल बिछाने में सफल हो गया है।


जेएमबी का बढ़ता दायरा

इसने पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में अपना नेटवर्क खड़ा कर लिया है और अब यह पंजाब, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, हरियाणा जैसे राज्यों में अपना नया ठिकाने बनाने की फिराक में है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत पहले से ही सीमा पार प्रायोजित आतंकवाद से त्रस्त है, अब यह संगठन भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गया है। खबर है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जेहाद के नाम पर इससे हाथ मिला लिया है।

इसके निशाने पर बौद्ध एवं हिन्दू मंदिर, राजनीतिक नेता और बड़े सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रतिष्ठान हैं। 2018 में बोध गया में आतंकी हमला इसी संगठन की करतूत मानी जाती है। सवाल उठता है कि तमाम सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी के बावजूद जेएमबी ऐसा करने में सफल कैसे हो गया? तय है कि यह सब एक दिन में नहीं हुआ होगा। खुद यह संगठन दो दशक पुराना है। इसलिए इसे सुरक्षा एजेंसियों की वर्षो की उपेक्षा का नतीजा माना जाएगा। लेकिन केवल सुरक्षा एजेंसियों पर दोषारोपण कर देने मात्र से समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा।

केंद्र और राज्यों में विभिन्न दलों की बनने वाली सरकारों को भी इच्छाशक्ति दिखानी होगी। लेकिन सरकारें ऐसा क्यों नहीं कर पाई? क्या इसके पीछे भी वोट बैंक की राजनीति छिपी हुई है? अब तक के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि बिना सामाजिक समर्थन के आतंकवाद फल-फूल नहीं सकता। यह छिपी बात नहीं है कि भारत में वर्षो से बांग्लादेश से घुसपैठ होता रहा है। बांग्लादेश सरकार द्वारा जेएमबी के खिलाफ की गई कार्रवाई ने भी इसके सदस्यों को भारत में घुसने के लिए मजबूर किया।

अब इस घुसपैठ और आतंकवाद के रिश्ते ने भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। देर से ही सही, जेएमबी के प्रति केंद्र सरकार के रु ख में सख्ती आई है। इसी साल भारत सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। बांग्लादेश सीमा पर स्मार्ट बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम खड़ा किया जा चुका है, लेकिन अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इसने एनआरसी की आवश्यकता को भी महत्त्वपूर्ण बना दिया है।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment