कैबिनेट का फैसला
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने जो फैसला लिया, उसका लक्ष्य एक साथ किसानों की आय बढ़ाने, देश में स्वास्थ्य सेवा के विस्तार और निवेश व रोजगार को बढ़ावा देने वाला है।
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इसमें एक सबसे महत्त्वपूर्ण फैसला 60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात करने की अनुमति काहै। इसके लिए सरकार किसानों के खातों में 6,268 करोड़ रुपये की सब्सिडी भेजेगी। वस्तुत: चीनी निर्यात नीति में बदलाव की नीति के अनुसार अतिरिक्त चीनी स्टॉक का निर्यात किया जा सकता है, जिसका यह पहला चरण है।
अभी देश में 182 लाख टन चीनी का स्टॉक है। इसमें से 40 लाख टन का बफर स्टॉक है। इससे चीनी मिलों को भी लाभ होगा क्योंकि उन्हें भी 10,448 रपए प्रति टन की सब्सिडी मिलेगी। दूसरा महत्त्वपूर्ण फैसला अगले तीन साल में 75 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का है। इससे 15,700 एमबीबीएस और पीजी की सीटें बढ़ जाएंगी।
यह आजादी के 75 वर्ष यानी 2022 तक की योजना का अंग है। चूंकि जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज नहीं हैं, वही खोले जाएंगे इसलिए मेडिकल शिक्षा के साथ उन जिलों में स्वास्थ्य का विस्तार भी होगा क्योंकि इनके साथ 220-330 बिस्तरों वाला अस्पताल भी होगा। जैसा हम जानते हैं मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 82 मेडिकल कॉलेज खोले गए थे, जिनमें 45 हजार एमबीबीएस और पीजी की सीटें बढ़ी थीं। नये 75 मेडिकल कॉलेज अगले तीन सालों के भीतर खोले जाएंगे।
तीसरा फैसला विदेशी निवेश नीति को उदार बनाने वाला है। इसके तहत कोयला खनन, ठेके पर विनिर्माण में शत-प्रतिशत, डिजिटल मीडिया में 26 प्रतिशत विदेशी निवेश को मंजूरी दी गई है, जबकि सिंगल ब्रांड खुदरा विक्रेताओं को राहत देने के लिए स्थानीय स्रोत से खरीद के नियमों में कई बदलाव किए गए हैं। 30 प्रतिशत स्थानीय खरीद की शर्त संबंधित नियम आसान किए गए हैं।
खनन के साथ ही इस उद्योग से जुड़े सभी क्षेत्रों जैसे कोयले की धुलाई, छंटाई, प्रसंस्करण और बिक्री के कारोबार में भी शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया जा सकेगा। ग्लोबल चेन के तहत र्थड पार्टी मैन्युफैक्चरिंग में विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। पहले इस क्षेत्र में अनुमति नहीं थी। क्योंकि यहां स्वदेशी कंपनियां काम करती थीं। अब इसके लिए भी शत-प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी। हालांकि इनमें से कई पर विवाद होंगे, पर उम्मीद करनी चाहिए कि ये कदम अर्थव्यवस्था को गति देने वाले साबित होंगे।
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