मौद्रिक नीति के संकेत

Last Updated 07 Jun 2019 06:35:44 AM IST

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने ताजा मौद्रिक नीति में जो संकेत दिए हैं, उनमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण संकेत यह है कि अर्थव्यवस्था में ब्याज दर में कमी होनी चाहिए।


मौद्रिक नीति के संकेत

ब्याज दरों में दशमलव 25 की गिरावट की घोषणा से संकेत मिलते हैं कि रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में ब्याज की दर कम होनी चाहिए। कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था की जो स्थिति दिख रही है, उसमें सुस्ती के संकेत साफ तौर पर दिखाई पड़ रहे हैं। रिजर्व बैंक द्वारा घोषित मौद्रिक नीति में जो बयान जारी किया गया है, उसमें अर्थव्यवस्था की सुस्ती के संकेत हैं। पर देखने की बात यह है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती को सिर्फ  रिजर्व बैंक दूर नहीं कर सकता। रिजर्व बैंक के हाथ में मौद्रिक इंतजाम है।

एक हद तक यह मौद्रिक इंतजाम ब्याज दरों में कमी या बढ़ोत्तरी के परिणाम दे सकते हैं। पर अर्थव्यवस्था में जब तक मांग में तेजी नहीं आएगी, रिजर्व बैंक के हाथ बंधे हुए हैं। अर्थव्यवस्था में मांग में कमी कई वजहों से है। कई गैर वित्तीय बैंकिंग संस्थाएं कई वजहों से समस्या में हैं। वह कर्ज नहीं दे पा रही हैं। जिन सेक्टरों की मांग में कर्ज उपलब्धता का बड़ा योगदान होता है वो सेक्टर इस स्थिति से प्रभावित हैं। उदाहरण  के लिए कई गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान बाइक, कार और ट्रकों के लिए कर्ज नहीं दे रहे हैं, इसलिए ऑटोमोबाइल उद्योग में मांग मजबूत नहीं हो रही है।

गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों की स्थिति एक दिन में नहीं बिगड़ी है, ना ही वह एक दिन में सुधरेगी, तो कुल मिलाकर कई सेक्टरों को थोड़ा लंबे वक्त तक सुस्ती झेलने के लिए तैयार रहना होगा। मौद्रिक नीति के साथ जारी बयान में निर्यात की स्थिति पर भी चिंता जताई गई है। गौरतलब है कि अब नई सरकार के गठन के बाद बजट की तैयारी शुरू हो गई है। इस बजट से उम्मीद की जानी चाहिए कि वह अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में हरेक की जेब में कुछ ना कुछ रकम रखेगा या कुछ ना कुछ रकम छोड़ेगा ताकि उस रकम का इस्तेमाल बाजार में तरह-तरह की चीजों को खरीदने में किया जा सके।

बाजार में मांग सिर्फ ब्याज दरों में कटौती से नहीं आती, बाजार में मांग तब पैदा होती है, जब ग्राहक की जेब में पर्याप्त पैसे हों और वह आस्त हो कि आने वाले वक्त में भी पैसे मिलते रहेंगे। रिजर्व बैंक ने अपनी तरफ से संकेत दे दिए हैं कि बैंकों को ब्याज दरों में गिरावट कर देनी चाहिए, पर मांग को मजबूत करने का जिम्मा आगामी बजट को लेना चाहिए।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment