टिकट पर विवाद
राजधानी दिल्ली के चुनाव के एक दिन पूर्व आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के पुत्र ने अपने पिता पर मोटी रकम देकर टिकट पाने का जो आरोप लगाया है उसे लेकर एक राय बनाना कठिन है।
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हम नहीं जानते कि सच क्या है? पश्चिमी दिल्ली लोक सभा सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार बलबीर सिंह जाखड़ के पुत्र उदय जाखड़ ने कहा कि मेरे पिता ने पश्चिमी दिल्ली संसदीय सीट से टिकट हासिल करने के लिए 6 करोड़ रुपये अरविंद केजरीवाल को दिए। स्वाभाविक ही बलबीर जाखड़ और आप दोनों ने इसे निराधार बताया है। आप नेता इसे भाजपा की साजिश बता रहे हैं। भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की है। उदय जाखड़ का कहना है कि वह इसे साबित कर सकता है। यह सच है कि उदय जाखड़ अपने पिता के साथ नहीं रहता। उसकी मां एवं पिता का तलाक हो चुका है। किंतु इस आरोप को एकबारगी खारिज भी नहीं किया जा सकता। यह भारतीय राजनीति का ऐसा पक्ष है, जिसे सक्रिय राजनीतिक नेता-कार्यकर्ता सब जानते हैं। हर चुनाव में कुछ ऐसे उम्मीदवार होते हैं, जिनका प्रत्यक्ष राजनीति से लेना-देना नहीं होता लेकिन पैसे की बदौलत टिकट पा जाते हैं। देश में दो पार्टयिां ऐसी हैं, जिनके उम्मीदवार निजी बातचीत में बताते हैं कि उन्होंने रुपये देकर टिकट लिये हैं।
तो यह भारतीय राजनीति का ऐसा घृणित चरित्र है, जिसका दुष्परिणाम देश भुगतता है। बलबीर जाखड़ की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। फिर वह आप से उम्मीदवार किस आधार पर बना? न तो क्षेत्र में उन्होंने सामाजिक कार्य करके इतनी लोकप्रियता हासिल की हुई है और न उन्होंने किसी क्षेत्र में ऐसी उपलब्धि हासिल की है जिससे उनको ख्याति मिली हो। तो फिर? उसकी उम्मीदवारी की घोषणा करते समय कहा गया कि वो अन्ना आंदोलन के समय से ही जुड़े हुए थे। अन्ना आंदोलन से जुड़े ज्यादातर लोगों को कहना है कि उनको कभी देखा नहीं गया। इस तरह यह सफेद झूठ है। कुल मिलाकर जाखड़ को आप का उम्मीदवार बनाए जाने का कोई नैतिक या व्यावहारिक कारण नजर नहीं आता। यह भारतीय राजनीति की त्रासदी है कि एक पार्टी जो मानक बनने का दावा करके सामने आई थी वह उसी धारा में बह गई, जिससे अलग होने की उससे उम्मीद की गई थी।
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