टेरर फंडिंग पर सख्ती
प्रवर्त्तन निदेशालय (ईडी) ने कश्मीर घाटी में हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी संगठन के सरगना सैयद सलाउद्दीन की 1.22 करोड़ की 13 संपत्तियां जब्त की है।
टेरर फंडिंग पर सख्ती |
यह कार्रवाई घाटी में सक्रिय आतंकी और अलगाववादी संगठनों को वित्तीय मदद रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम है। जब्त की गई संपत्तियां हिजबुल मुजाहिदीन के लिए कथित तौर पर काम करने वाले बांदीपोरा के मोहम्मद शफी शाह और राज्य के छह अन्य लोगों के नाम पर हैं। शफी शाह कश्मीर घाटी में आतंकवादी और अवैध गतिविधियों का मास्टर माइंड रहा है। वह ‘टेरर फंड’ को बांदीपोरा, बड़गाम और अनंतनाग में सक्रिय आतंकवादियों तक पहुंचाने का काम करता था। हिजबुल सरगना सलाउद्दीन पाकिस्तान में रहता है और वहीं से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का वित्तपोषण करता है। वह पाकिस्तान आधारित संगठनों के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर एफेक्टीज रिलीफ फंड ट्रस्ट (जेकेएआरटी) द्वारा जुटाये गए पैसों को हवाला के जरिये आतंकियों तक पहुंचाया करता है। इस संगठन को पाकिस्तान सरकार और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई धन मुहैया कराती है।
हालांकि हिजबुल मुजाहिदीन की संपत्ति जब्त होने से कश्मीर घाटी और पाक अधिकृत कश्मीर के जरिये भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले वस्तु विनिमय (बार्टर सिस्टम) व्यापार को गहरा झटका लगा है। भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने 2008 में पारस्परिक विश्वास बहाली के लिए जम्मू-कश्मीर में सीमा नियंत्रण रेखा पर कुछ चुनिंदा वस्तुओं के ड्यूटी फ्री व्यापार की अनुमति दी थी। इसके लिए सलामाबाद और पुंछ जिले के चक्कन दा बाग में दो व्यापार सुगम केंद्र बनाये गए थे। यह व्यापार कश्मीर क्षेत्र में बनने वाली वस्तुओं और उत्पादों को वस्तु विनिमय प्रणाली के तहत लाने-ले जाने तक सीमित था। इस व्यापार में फल,शॉल, दुपट्टा, मेवों और कुछ अन्य वस्तुओं को शामिल किया गया था। भारतीय सुरक्षा बलों और राष्ट्रीय जांच एजेंसी को इसका शक हुआ कि कश्मीर-मुजफ्फराबाद रास्ते का इस्तेमाल आंतकी करतूतों के लिए सीमा पार से हथियारों और नकदी भेजने के लिए किया जा रहा है। दरअसल, वस्तु विनिमय व्यापार का गलत इस्तेमाल हो रहा था। पुलवामा के चलते रुका व्यापार फिर बहाल हो गया है किंतु इस पर चौकसी की जरूरत है।
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