अगस्ता में बड़ी कामयाबी

Last Updated 06 Dec 2018 04:09:23 AM IST

इतालवी कंपनी फिनमैकेनिका की ब्रिटिश सहयोगी कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड मामले के बिचौलिये क्रिश्चयन मिशेल को प्रत्यर्पण के बाद भारत लाया जाना मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता है।


अगस्ता में बड़ी कामयाबी

संप्रग सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटाले में मिशेल मुख्य बिचौलिया था और इसके प्रत्यर्पण से भाजपा उत्साहित है। उसे राफेल सौदे में मोदी सरकार को घेर रही कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब देने का अवसर मिल गया है। जाहिर है आगामी 11 दिसम्बर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में यह मुद्दा जोर-शोर से उठेगा। राजस्थान, तेलंगाना के विधानसभा चुनावों के साथ 2019 में होने वाले लोक सभा चुनाव में भाजपा को इसका राजनीतिक लाभ मिल सकता है।

करीब 3700 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड की वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में कांग्रेस के नेताओं, नौकरशाहों और रक्षा मंत्रालयों के अधिकारियों पर रिश्वत लेने के आरोप लगते रहे हैं। इसीलिए भाजपा मानकर चल रही है कि मिशेल के प्रत्यर्पण से गांधी परिवार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। ईडी ने जून 2016 में मिशेल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। इसके बाद फरवरी 2017 में उसे दुबई में गिरफ्तार किया गया।

उसी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने मिशेल के प्रत्यर्पण की जमीन तैयार की थी। क्रिश्चयन मिशेल ब्रिटिश नागरिक है, बावजूद उसका प्रत्यर्पण दर्शाता है कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच रणनीतिक सहयोग और साझेदारी बेहतर स्तर पर है। आरोप है कि अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी ने 14 हेलीकॉप्टर का सौदा अपने पक्ष में कराने के एवज में मिशेल को 225 करोड़ रुपये दिए थे, जो रिश्वत के बतौर भारतीय नेताओं और नौकरशाहों में बांटे गए।

जब रिश्वत देने का मसला सामने आया तब जनवरी 2014 में यह सौदा रद्द कर दिया गया था। उम्मीद है कि मिशेल से पूछताछ में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर्स खरीद घोटाले में भ्रष्टाचार की बातें प्याज की परत की तरह एक-एक कर उघड़ कर सामने आएंगी। ऐसे नेताओं और नौकरशाहों के नाम भी सामने आ सकते हैं, जो नहीं चाहते थे कि मिशेल का प्रत्यर्पण हो। अब देखना है कि भाजपा ‘अगस्ता-वेस्टलैंड कार्ड’ का इस्तेमाल कैसे करती है?



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