सोनिया-राहुल को धक्का
नेशनल हेराल्ड मामले में आयकर जांच की कार्रवाई रोकने की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अस्वीकृति कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के लिए बहुत बड़ा धक्का है।
सोनिया-राहुल को धक्का |
न्यायालय ने हालांकि कहा है कि मामला लंबित होने तक आयकर विभाग कोई कार्रवाई नहीं करेगा, किंतु वह 2011-12 के कर निर्धारण के मामलों को फिर से खोल सकता है। इसे रोकने के लिए ही इन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। यह ठीक है कि न्यायालय के अगले आदेश के पहले आयकर विभाग कर निर्धारण से संबंधित आदेश पर अमल नहीं करेगा, किंतु वह शेष प्रक्रिया पूरी कर सकता है।
न्यायालय ने मामले की सुनवाई की तारीख 8 जनवरी तय की है और उस दिन देखना होगा वह क्या फैसला देता है? नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी, सोनिया गांधी सहित दूसरे अरोपित यानी ऑस्कर फर्नाडिस, मोतीलाल वोरा आदि को अदालत से अभी तक निराशा ही हाथ लगी है। न्यायालय से केवल उन्हें जमानत मिली हुई है।
राहुल और सोनिया को निचले न्यायालय ने 19 दिसम्बर, 2015 को जमानत दी थी। वर्ष 2011-12 के कर निर्धारण को फिर से खोलने के आयकर विभाग के फैसले को पहले इन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जो पिछले 10 सितम्बर को खारिज हो गई। उसी के विरु द्ध ये सर्वोच्च न्यायालय गए हैं। भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई चल रही है।
स्वामी ने वित्त मंत्री को भी कर चोरी के बारे में याचिका दी थी। इसमें सामान्य पूंजी से एक नई कंपनी बनाकर धोखाधड़ी एवं साजिश के तहत करोड़ों का गबन करने का आरोप है। आरोप है कि 50 लाख रुपये से नवम्बर 2010 में यंग इंडिया का सृजन किया गया था और उसने नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाले एसोसिएटेड जर्नल्स के लगभग सारे शेयर अवैध तरीके से ले लिये।
आयकर विभाग का कहना था कि यंग इंडिया में राहुल के जो शेयर हैं, उससे उन्हें पहले कर निर्धारण के अनुसार 154 करोड़ रुपये की आमदनी होगी। आयकर विभाग पहले ही यंग इंडिया को वर्ष 2011-12 के लिए 249 करोड़ रुपये के मांग का नोटिस जारी कर चुका है। वैसे कर निर्धारण मामले में सर्वोच्च न्यायालय के विपरीत फैसले से भी मुख्य मामले पर कोई अंतर नहीं आएगा। कांग्रेस के वकील अभी तक मामले को लंबा खींचने में सफल हैं, किंतु यही स्थिति अनवरत नहीं रह सकती।
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