समुद्र में हमारी मजबूती

Last Updated 05 Dec 2018 06:27:57 AM IST

निश्चय ही यह संतोष का विषय है कि राफेल सौदे को राजनीतिक तौर पर विवादित बनाए जाने के बावजूद हमारी रक्षा तैयारियां बिल्कुल अप्रभावित हैं।


समुद्र में हमारी मजबूती

नौसेना दिवस पर नौसेना प्रमुख एडमिरल लांबा ने पत्रकारों से बातचीत में आस्त करने वाली बातें कहीं। बताया कि सरकार रक्षा चुनौतियों के मद्देनजर तैयारी में कोई कोताही नहीं बरत रही। भारतीय नौसेना की मुख्य चुनौती हिंद महासागर व अरब सागर में तो है ही, इसका विस्तार प्रशांत तक हो रहा है।

लांबा की बात मानें तो हिन्द महासागर का शक्ति संतुलन अभी भी चीन के मुकाबले भारत के पक्ष में है और पाकिस्तान के मुकाबले हम काफी बेहतर स्थिति में हैं। चूंकि सरकार ने भारतीय नौसेना का प्रभुत्व बनाए रखने के लिए बेड़े में 56 युद्धपोत और छह पनडुब्बी शामिल करने का निर्णय कर लिया है, दूसरे स्वदेशी विमानवाहक पोत को लेकर भी बातचीत ठोस रूप ले रही है, इसलिए अन्य किसी के भी हमसे आगे होने की संभावना नहीं हो सकती। नौसेना रक्षा उत्पादन के क्षेत्र के मामले में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर भी अग्रसर है।

ये युद्धपोत और पनडुब्बियां एक दशक के भीतर नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिए जाएंगे। जाहिर है कि इनमें से कुछ युद्धपोत पुराने युद्धपोतों की जगह लेंगे तो कुछ नौसेना के बेड़े का विस्तार करेंगे। देशवासियों को इस सूचना से भी हर्षित होना चाहिए कि हमारे शिपयाडरे में अभी 32 समुद्री पोत और पनडुब्बियों का निर्माण चल रहा है। इनमें विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, पी-15 बी श्रेणी के विध्वंसक, पी 17 ए श्रेणी के स्टेल्थ फ्रिगेट, समुद्री गश्त पोत और पनडुब्बी शामिल हैं। विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत निर्माण के अंतिम चरण में है।

इसका समुद्री परीक्षण 2020 के मध्य में शुरू हो जाएगा। वस्तुत: ये सारी तैयारियां केवल वर्तमान नहीं बल्कि भावी चुनौतियों और दायित्वों को ध्यान में रखकर की जा रही हैं। रक्षा तैयारियां हमेशा दीर्घकालीन सामरिक स्थितियों के मद्देनजर की जानी चाहिए। प्रसन्नता की बात है कि भारत उसी दिशा में ठोस तरीके से अग्रसर है। अगर हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत को सामरिक महाशक्ति के तौर पर भूमिका निभानी है, तो क्षेत्र के सभी देशों की नौसैना शक्तियों और उनकी भावी योजनाओं का ध्यान रखते हुए तैयारी की जरूरत है, और वही हो रहा है। हम कामना करेंगे इन तैयारियों को किसी तरह राजनीतिक कुटिलता की नजर न लगे।



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