चेहरे का आधार
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकार (यूआईडीएआई) द्वारा आधार सत्यापन के लिए चेहरे को मान्यता देना एक स्वागतयोग्य कदम है.
चेहरे का आधार UIDAI |
अभी तक उंगलियों के निशान व आंखों की पुतली के स्कैन के जरिए सत्यपान किया जाता है. इसे सत्यापन का बायोमीट्रिक तरीका कहते हैं.
साफ है कि जो लोग वृद्धावस्था, कठिन मेहनत वाली स्थितियों या किन्हीं बीमारियों से उंगलियों के निशान धूमिल होने आदि के कारण अपने आधार का बायोमीट्रिक तरीके से सत्यापन नहीं करवा पा रहे, यह नई सुविधा उनके लिए सहयोगी साबित होगी.
हालांकि प्राधिकार ने अधिकृत वक्तव्य में कहा गया है कि यह नई सुविधा सत्यापन के मौजूदा तरीकों के साथ मिलकर और जरूरत के हिसाब से उपलब्ध होगी. यानी पुराने तरीके तो जारी रहेंगे लेकिन जिनकी पहचान किन्हीं कारणों से इन तरीके से नहीं हो पाती उनको अब पहले की तरह वापस नहीं जाना पड़ेगा. जैसा हम जानते हैं कि आजकल कई मामलों में आधार के सत्यापन की आवश्यकता होती है.
आयकर रिटर्न भरने से लेकर, बैंक खाते, मोबाइल कनेक्शन, कर्मचारियों की उपस्थिति, जन वितरण प्रणाली से राशन लेने आदि के लिए आधार सत्यापन अनिवार्य किया जा चुका है. यही नहीं सरकार के अनेक कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी आपको आधार का सत्यापन कराना होता है. आंकड़ा दिया गया है कि अभी तक 1510 करोड़ से ज्यादा सत्यापन का काम किया जाता है.
देश भर से ऐसी खबरें आई हैं कि कई लोगों को उंगलियों के निशान नहीं मिल पाते या आंखों की पुतली का मेल नहीं हो पाता जिस कारण वे सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं, वैसे यह अचानक नहीं हो सकता. कारण, अभी तक सत्यापन के लिए जो उपकरण उपलब्ध हैं उनमें चेहरे से सत्यापन की सुविधा नहीं है. तो इसके लिए विशेष उपकरण की जरूरत होगी. प्राधिकार ने इतना ही कहा है कि वह मौजूदा उपकरणों में बदलाव करने में मदद करेगा. दूसरे, सिर्फ चेहरे से पहचान के लिए अलग से भी उपकरण उपलब्ध कराना होगा.
प्राधिकार ने 1 जुलाई 2018 से चेहरे से पहचान की सुविधा उपलब्ध हो जाने की अंतिम समय सीमा निर्धारित की है. हां, इसका जवाब नहीं मिल रहा है कि जिन लोगों का कार्ड अभी तक नहीं बना है उनके बारे में प्राधिकार और सरकार की नीति क्या हैं? कम-से-कम 11 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनका कई कारणों से आधार बना ही नहीं. इसकी एक वजह निश्चित पते का न होना है.
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