खाप पर सख्ती

Last Updated 18 Jan 2018 05:04:45 AM IST

अंतर्जातीय विवाह करने वाले वयस्क युवक-युवतियों की राह में रोड़ा खड़ा करने वाली खाप पंचायतों के खिलाफ देश की शीर्ष अदालत ने कड़ा रुख अपनाया है.


खाप पर सख्ती

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र, ए. एम. खानविलकर और डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने गैर-सरकारी संगठन शक्तिवाहिनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी वयस्क युवक और युवती को अपनी पसंद के मुताबिक विवाह करने का अधिकार है, और उस पर समाज, पंचायतों और यहां तक कि उनके अभिभावकों को भी सवाल खड़े करने का अधिकार नहीं है. कोई खाप पंचायत या व्यक्ति जोड़ों को विवाह करने से रोकता है, तो गैर-कानूनी है.

अदालत के सख्त रुख के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्र सरकार विवाह की स्वतंत्रता संबंधी कानून बनाने की दिशा में पहल करेगी. दरअसल, भारतीय समाज के बहुतेरे हिस्सों में ऐसे विवाह करने वाले युवक-युवतियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है. ऐसे विवाह को परिवार अपनी कथित इज्जत के साथ जोड़कर देखते हैं. झूठी इज्जत और कथित शान की हिफाजत के लिए अपनी ही बेटी-बेटियों की हत्या तक कर देते हैं. उत्तरी भारत के हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतें काफी शक्तिशाली हैं. विडम्बना यह है कि इन्हें लोगों का समर्थन प्राप्त है.

अलबत्ता, राजनीतिक दल और राज्य सरकारें भी खाप पंचायतों के तुगलकी फरमान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से डरती हैं. जाहिर है कि खाप पंचायतों के प्रति सरकारों का रुख नरम और लचीला रहता है, तो पुलिस और प्रशासन भी मनमर्जी से विवाह करने वाले युवक-युवतियों को किसी तरह की कानूनी सुरक्षा देने में अपने को असहाय महसूस करते हैं. हालांकि न्याय मित्र राजू रामचंद्रन ने शीर्ष अदालत को बताया कि विधि आयोग ने अपनी 242वीं रिपोर्ट में विवाह की स्वतंत्रता संबंधी कानून बनाने का प्रस्ताव दिया है.

लेकिन अदालत ने साफ कहा है कि सरकार अंतरजातीय विवाह करने वाले युवक-युवतियों सुरक्षा देने संबंधी कानून बनाए. इस संबंध में शीर्ष अदालत गाइडलाइंस जारी  कर सकती है. मामले की सुनवाई अब पांच फरवरी को होगी. उम्मीद की जानी चाहिए कि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद समाज से खाप पंचायतों की अर्ध-न्यायिक संस्थाओं की तरह कथित मान्यता देर-सबेर रद्द हो जाएगी.



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