शर्मनाक बयान

Last Updated 13 Jan 2018 02:07:38 AM IST

कश्मीर में अमन बहाली की कोशिशों को बीच-बीच में पटरी से उतारने की करतूत होती रहती है.


जम्मू-कश्मीर विधान सभा में सत्तारूढ़ पीडीपी के विधायक एजाज अहमद मीर

एक बार फिर जम्मू-कश्मीर विधान सभा में सत्तारूढ़ पीडीपी के विधायक ने राज्य के आतंकवादियों का पक्ष लेते हुए बेहद शर्मनाक बयानबाजी की है. विधायक एजाज अहमद मीर का कहना है कि कश्मीर के आतंकी  शहीद हैं और वे हमारे भाई हैं और हमारे बच्चे हैं. आतंकवादियों की मौत पर हमें जश्न नहीं मनाना चाहिए. विधायक की खून की होली खेलने वालों के प्रति नरमी और संवेदना का भाव यही साबित करता है कि राज्य में तीन दशकों से चली आ रही आतंकवादी करतूतों में कमी क्यों नहीं आ पा रही या इसे खत्म क्यों नहीं किया जा सकता है?

आखिर इन दहशतगर्दों के प्रति कैसी ममता और कैसा प्यार, जो न केवल अपने भाई-बहनों का खून बहा रहे हैं बल्कि धर्म और जेहाद के नाम पर दुश्मन मुल्क के षड्यंत्र का हिस्सा बन रहे हैं. और अपनों के ही खून के प्यासे बन हुए हैं. विधायक को यह बात संजीदगी से समझने की जरूरत है कि आखिर राज्य में अशांति और कत्लेआम के लिए कौन जिम्मेदार है और कौन-कौन लोग इस खेल में उसका हिस्सा बने हुए हैं? और यह बात सिर्फ एजाज अहमद मीर के संदर्भ में ही नहीं है.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी कभी पत्थरबाजों के हिमायती बन जाते हैं या कभी देश के टुकड़े होने की खुशफहमी पालने वाले हुर्रियत गुट से बातचीत करने का स्यापा करते हैं. ऐसे ही लोग राज्य और देश की अस्मिता और एकता के कट्टर दुश्मन हैं. यह बात किसी भी तरीके से जायज नहीं कही जा सकती है कि आतंकवादी हमारे भाई हैं. इस दलील के पीछे विधायक की न केवल गंदी मानसिकता है बल्कि राज्य के विकास और उसे आतंकवाद से न उबार पाने की उनकी दयनीयता का भी पता चलता है.

यह उस विचार के खिलाफ भी है, जो उन्हीं की नेता महबूबा मुफ्ती के श्रीमुख से निकलता है कि, मुख्यधारा से जुड़े लोग हों या फिर अलगाववाद से, वह जान लें कि जो कुछ मिला है या मिलेगा, वह अपने हिन्दुस्तान से ही मिलेगा. अब ऐसे में विचारधारा के खिलाफ जाने का विधायक का आचरण आश्चर्य भी पैदा करता है और चौंकाता भी है. यह इसलिए भी ज्यादा विचलित करने वाला बयान है कि भाजपा पीडीपी के साथ सत्ता में साझीदार है. ऐसे में विधायक के इस बयान से भाजपा असहज हुई है और उसने बिना वक्त गंवाये कहा कि आतंकवाद से समझौता नहीं किया जा सकता है. लेकिन सौ टके की बात यही कि देश तोड़ने की बात करने वालों को मति कब आएगी?



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