संवेदनहीन वक्तव्य

Last Updated 25 Nov 2017 05:30:29 AM IST

ज्ञान विज्ञान को उसी खांचे में रहने देने की जरूरत है. लेकिन कुछ राजनेता अपने सतही बयान और टिप्पणी से इसे अपराध बना दे रहे हैं.


असम सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री हेमंत विश्व सरमा (file photo)

असम सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री हेमंत विश्व सरमा  ने जानलेवा कैंसर रोग के लिए कुछ ऐसी ही ऊटपटांग बात कही कि खुद उनकी पार्टी को यह नागवार गुजरा, बाद में सरमा ने भी गलतबयानी के लिए माफी मांग ली.

दरअसल, नेताओं का किसी भी मसले पर अनर्गल बयान देना आज का शगल नहीं है. और यह हर सियासी दलों में होता है. कब, क्या और किस तरह तरह अपनी बात गरिमामयी तरीके से रखनी है, यहां राजनीति के कई धुरंधर फेल हो जाते हैं.

हेमंत के बारे में भी कुछ ऐसा ही हुआ. जनसंपर्क और प्रबंधन में माहिर माने जाने वाले हेमंत ने कैंसर रोगियों के बारे में यह कह दिया कि कुछ लोग कैंसर जैसी घातक बीमारी से इसलिए मरते हैं क्योंकि उन्होंने अतीत में या पूर्व जन्म में पाप किए हैं और यह भगवान का न्याय है. जहां जानलेवा कैंसर का इलाज ढूंढ़ने में पूरी दुनिया के रिसर्चर दिन-रात एक किए हुए हैं, वहां पूर्व जन्म के आधार पर बीमारी होने की बात कहना और अपने बयान को सही ठहराने के लिए गीता के उपदेश की आड़ लेना वाकई शोचनीय और हैरत भरी बात है.

खासकर ऐसे शख्स से यह दकियानूसी और अतार्किक बातें सुनना ज्यादा अटपटी लगती हैं, जो किसी राज्य का स्वास्थ्य मंत्री होने के साथ-साथ वित्त मंत्री भी है. ताकतवर पद पर बैठने के बावजूद अपने सूबे की स्वास्थ्य सेवा को दुरुस्त करने की बजाय अनाप-शनाप बोलने से किसी का भला नहीं होने वाला.

जनता ने उनमें जरूर करिश्माई छवि देखी होगी. लिहाजा, मंत्री को भी उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए. एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक पिछड़े राज्यों के मुकाबले पूर्वोत्तर के राज्यों में कैंसर से सबसे ज्यादा मौतें 40-69 आयुवर्ग के लोगों की होती हैं. संयोगवश, असम में जीवन प्रत्याशा सबसे कम और बीमारियों का बोझ सबसे ज्यादा है. लिहाजा, मंत्री हेमंत विश्व सरमा को प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में सोचना चाहिए.

खुद सरमा राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का रोना रोते रहे हैं. अब चूंकि उनके पास यह जिम्मेदारी भरा ओहदा है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि वे राज्य में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं खासकर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का बेहतर इलाज करेंगे. अगर वह  ऐसा करेंगे तभी जनता का भरोसा उन पर जमेगा वरना रसातल में जा चुकी स्वास्थ्य सेवा का और ज्यादा दुर्गति से इनकार नहीं किया जा सकता है.



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