रिहाई पर रार
हाफिज सईद के रिहा होने पर पाकिस्तान चाहे जो तर्क दे, लेकिन दुनिया के गले नहीं उतर रहा है कि आखिर जिस व्यक्ति पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा हुआ है, जिसका संगठन संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित है, उसे रिहा क्यों किया जा सकता है?
मुंबई हमले का मास्टरमाइंड आतंकवादी हाफिज सईद |
लाहौर हाई कोर्ट ने कहा कि उसे नजरबंद रखने के लिए पर्याप्त कानूनी आधार नहीं है.
जाहिर है, पाकिस्तान सरकार ने कोर्ट में ऐसे पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जिससे उसे जेल में डाला जा सके. गत जनवरी में उसे घर में ही नजरबंद करने का मतलब था, पाकिस्तान केवल दिखावटी कार्रवाई कर रहा है. आतंकवाद के आरोप में किसी को उसके घर में नजरबंद नहीं किया जाता, सीधे जेल में डाला जाता है.
स्वयं पाकिस्तान में भी आतंकवाद के विरु द्ध इतने कड़े कानून हैं कि उन्हें लागू करने पर किसी को जमानत मिलना आसान नहीं होता. किंतु हाफिज सईद के खिलाफ पाकिस्तान सरकार लगातार दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश करती रही है. उसे पहले भी नजरबंद किया गया था एवं इसी तरह कोर्ट ने रिहा कर दिया था.
पाकिस्तान के रवैये से साफ है कि वह ऐसा करना जारी रखेगा. हाफिज सईद ने मुंबई में जो हमला कराया, उसके पक्ष में जितने सबूत संभव थे, भारत ने पाकिस्तान को सौंप दिए. पाकिस्तान की जिम्मेवारी थी कि उनकी अपने देश में सही तरीके से जांच कर सबूत को जितना संभव होता पुख्ता करता. उस हमले की योजना पाकिस्तान में बनी, वहीं से प्रशिक्षित आतंकवादियों को भारत भेजा गया. हमले के दौरान वहीं से निर्देश भी दिए जाते रहे. तो इन सबका सबूत भारत में कितना मिल सकता है? सारे सबूत पाकिस्तान में ही थे.
लेकिन पाकिस्तान ने कभी अपनी जिम्मेवारी समझकर जांच की ही नहीं. वह भारत के सबूत को अपर्याप्त बताता रहा. यह तो अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के कड़े रवैये का परिणाम था कि पाकिस्तान ने भविष्य की किसी प्रतिकूल कार्रवाई से बचने के लिए उसे फिर से नजरबंद किया अन्यथा वह ऐसा भी नहीं करता. हालांकि संभव है पाकिस्तान को हाफिज से साथ हीलाहवाली महंगी पड़ जाए.
उसके रिहा होने के बाद अमेरिका में ही मांग उठी है कि चूंकि वह आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में अपनी भूमिका नहीं निभा रहा, इसलिए उसे प्रमुख गैर नाटो सहयोगी का मिला दरजा खत्म कर दिया जाए. अमेरिका का भी परीक्षण इस मामले में होना है. देखते हैं कि वह क्या करता है?
Tweet |