लीक होने का खतरा

Last Updated 21 Nov 2017 06:04:56 AM IST

यकीनन यह जानकारी चिंताजनक है कि केंद्र और राज्य सरकारों की 210 वेबसाइटों ने लोगों की आधार से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक की हैं.


लीक होने का खतरा

अभी तक सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया जाता रहा है कि आधार से जुड़ी जानकारियां एकदम सुरक्षित हैं और  इनके लीक होने का कोई खतरा नहीं है. आधार कार्ड जारी करने वाली संस्था भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी यूआईडीएआई भी यही दावा करती है.

किंतु अब इसी संस्थान ने सूचना अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में यह भूल स्वीकार किया है. तो इसे क्या कहा जाए? यूआईडीएआई ने यह स्पष्ट किया है कि उसने इस उल्लंघन पर संज्ञान लिया और इन वेबसाइटों से जानकारियां हटवा दीं.

उसने फिर से इस बात पर जोर दिया है कि यूआईडीएआई की ओर से आधार के ब्योरे को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया. हम इसके इस दावे को भी स्वीकार कर लेते हैं कि यह एक व्यवस्थित तंत्र है और भविष्य में जानकारियां लीक न हों, इसके पुख्ता उपाय उसने किए हैं. किंतु जिन लाभार्थियों नाम-पते सहित अन्य जानकारियां सार्वजनिक हुई उनका क्या? अगर किसी ने इसका दुरु पयोग कर ऐसे लोगों के नाम पर कुछ गोरखधंधा कर लिया तो उसकी जिम्मेवारी किसके सिर आएगी?

इसलिए यूआईडीएआई का इतना कहना पर्याप्त नहीं हो सकता कि उसने जानकारियां हटवा दिया है और भविष्य में ऐसा नहीं होगा. केंद्र सरकार विभिन्न सामाजिक सेवा योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने की प्रक्रिया में है. सर्वोच्च न्यायालय में आधार को अनिवार्य करने पर सुनवाई चल रही है. न्यायालय ने निजी जानकारियों को मौलिक अधिकार माना है.

इस फैसले के आधार पर सार्वजनिक की गई सूचनाएं संबंधित व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की श्रेणी में आएगा. कुछ क्षेत्रों में आधार की अनिवार्यता समझ में आती है, लेकिन माहौल ऐसा बनाया जा रहा है कि अगर आपके पास आधार नहीं तो फिर आप कोई सेवा ले ही नहीं पाएंगे. ऊपर से उनकी जानकारियां लाख आश्वासनों के बाद भी सार्वजनिक हो ही गई. जाहिर है, इस पर केंद्र सरकार को जवाब देना होगा.



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