नहीं छिपेगा काला धन
यह खबर निश्चय ही प्रत्येक भारतीय को हर्षित करेगा कि स्विट्जरलैंड अपने देश की बैंकों में खाता संबंधी पूर्ण जानकारियां कानूनी रूप से भारत सहित कई देशों के साथ साझा करने को तैयार हो गया है.
नहीं छिपेगा काला धन |
वस्तुत: वहां की एक महत्त्वपूर्ण संसदीय समिति ने भारत के साथ काले धन पर बैंकिंग सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
प्रस्ताव में यह साफ तौर पर उल्लिखित है कि यह जानकारी स्वचालित तरीके से मिलेगी. यानी इधर बैंक में धन जमा हुआ या खाता खुला और उधर बैंकों ने संबंधित सरकारी अधिकारियों को यह जानकारी दी, जहां से वह भारत तक सीधे पहुंच जाएगा और इसकी जांच आरंभ होगी.
दरअसल, स्विट्जरलैंड संसद के उच्च सदन की आर्थिक और कर मामलों की एक समिति ने भारत और 40 अन्य देशों के साथ इस संबंध में प्रस्तावित समझौते के मसौदे को मंजूरी दी है. समिति की अंतिम बैठक की विवरण के अनुसार उसने अपने देश की सरकार को संसद में एक कानून संशोधन प्रस्ताव रखने को कहा है, जो व्यक्तिगत कानूनी संरक्षण को मजबूत करने वाला हो.
इसका मतलब यह हुआ कि जानकारी देने के साथ यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे किसी मामले में जहां व्यक्तिगत दावे के आवश्यक कानूनी अधिकार का उल्लंघन हो रहा हो उनमें सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं होना चाहिए.
साथ ही, स्विट्जरलैंड के घरेलू बैंक ग्राहकों की गोपनीयता इससे प्रभावित नहीं होगी. इन दो प्रावधानों के आधार पर हालांकि अनेक लोगों की जानकारियां रोकी जा सकती हैं, पर इससे निराश होने का कोई कारण नहीं है. जिस स्विट्जरलैंड को जानकारियां देने के लिए दुनिया भर के अनेक देश मजबूर करने की कोशिश कर रहे थे और वह कुछ वर्ष पूर्व तक नाक पर मक्खी नहीं बैठने दे रहा था, वह यहां तक आ गया यही बहुत है. उसने जिन देशों के साथ समझौते किए हैं, उन सबको अपने देश के ज्यादातर नागरिकों के काला धन संबंधी जानकारियां मिल जाएंगी.
इन जानकारियों में खाता संख्या, नाम, पता, जन्म की तारीख, कर पहचान संख्या, ब्याज, लाभांश, बीमा पॉलिसियों से प्राप्ति, खाते में शेष और वित्तीय परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्ति आदि शामिल होंगे. यह समझौता अगले साल से लागू होगा और भारत के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान 2019 से शुरू हो जाएगा. तो तैयार रहिए करीब सवा साल बाद से काला धन के बारे में सूचना पाने के लिए.
Tweet |