प्रधानमंत्री का आश्वासन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर दिया गया चौथा भाषण यद्यपि पिछले सभी भाषणों में छोटा था, लेकिन इसमें देश के लिए हर मुद्दे पर बेहतरी का संकल्प और आश्वासन था.
लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी |
वस्तुत: अपने भाषण के अलग-अलग क्रम में मोदी ने नये भारत के सपने की रूपरेखा रखी. इस भाषण की यह विशेषता मानी जाएगी कि इसमें सरकार के कामों का लेखा-जोखा तो था, लेकिन वह संदर्भ से अलग नहीं था.
इसमें यह भाव नहीं था कि सरकार सब कुछ कर देगी, आप निश्चिंत हो जाइए. इसके विपरीत, कहा गया कि एक-एक देशवासी स्वयं को भारत के सपने के लिए प्रतिबद्ध भाव से काम करे तभी न्यू इंडिया का लक्ष्य प्राप्त हो सकता है.
प्रधानमंत्री के भाषण में सामूहिक संकल्प और सामूहिक प्रतिबद्धता की बात जगह-जगह थी. देश इस समय उनसे चीन, पाकिस्तान और कश्मीर पर सरकार का रु ख जानना चाहता था. मोदी ने बुद्धिमतापूर्वक दोनों देशों का नाम नहीं लिया, लेकिन साफ किया उनकी सेना किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम है. यह एक सही रणनीति मानी जाएगी. इस समय चीन का किसी तरह नाम लेना अपरिपक्व विदेश नीति होती.
इसी तरह उन्होंने कश्मीर के मामले पर अलगाववादियों को आड़े हाथों लिया तो आतंकवाद के खिलाफ भी जमकर प्रहार किया. लेकिन आम लोगों के बारे में कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान ‘न गाली से न गोली से बल्कि लोगों को गले लगाने से होगा. यानी सरकार नागरिकों का विश्वास जीतने की चेष्टा करेगी. इसे उपयुक्त नीति कहा जाएगा. अलगाववादियों और आतंकवादियों के साथ किसी तरह की मुरौव्वत नहीं. तीन तलाक के विरु द्ध मुस्लिम महिलाओं की लड़ाई का मुखर समर्थन का साफ संदेश था कि सरकार कट्टरपंथियों के दबाव में झुकने वाली नहीं है.
इसी तरह भ्रष्टाचार और कालाधन के खिलाफ उनकी आवाज में एक संकल्प था कि इसे मिटाकर ही दम लेंगे. लोकतंत्र में आस्था के नाम पर हिंसा को अस्वीकार्य बताकर प्रधानमंत्री ने एक बार फिर अपनी पुरानी बात दोहरायी. यह भी देश को सीधा-सीधा आश्वासन था. प्रधानमंत्री की यह बात सबको अपील करने वाली थी कि न्यू इंडिया शांति, सद्भाव, एकता का देश होगा जिसमें जातिवाद, संप्रदायवाद, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद की जगह नहीं होगी. यहीं पर उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की तर्ज पर आज ‘भारत जोड़ो’ की बात भी की, जो समय की मांग है.
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