धोने होंगे दाग
गोरखपुर त्रासदी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पत्रकारों से बात करते हुए भावुक हो जाना बिल्कुल स्वाभाविक है.
धोने होंगे दाग |
यह सच है कि योगी लंबे समय से गोरखपुर और आसपास जापनी एन्सेफलाइटिस बुखार के खिलाफ काम करते रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने काम किया है. जो सूचना है कि 38 जिलों के करीब 88 लाख बच्चों का टीकाकरण किया गया है.
किंतु जैसा वे स्वयं स्वीकारते हैं, यह पर्याप्त नहीं है. इतने बच्चों की मौत का इतना निष्कर्ष तो उन्हें भी स्वीकारना होगा कि इस मोर्चे पर बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है. वास्तव में जापानी एन्सेफलाइटिस के उन्मूलन के लिए काम करने की आवश्यकता है.
जब दुनिया के कई देश इससे मुक्त हो सकते हैं तो भारत क्यों नहीं हो सकता? हम मानते हैं कि केंद्र सरकार के सहयोग के बगैर उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा द्वारा गोरखपुर में वायरस रिसर्च सेंटर खोलने की घोषणा इस मायने में स्वागतयोग्य है. ऐसे और भी आवश्यक कदम उठाने होंगे. वस्तुत: उस पूरे क्षेत्र में युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है.
पहले योगी एक स्थानीय नेता और सांसद के तौर पर काम करते थे, अब वे मुख्यमंत्री हैं और केंद्र में भी भाजपा नेतृत्व की सरकार है. इस कारण उनसे उम्मीदें भी ज्यादा होंगी. किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा यह घोषणा तो उचित है, पर अगर दोष व्यवस्था का हो तथा बेईमान लोग उसका लाभ उठाकर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हों तो उसे सबसे पहले दूर करना होगा. सच कहें तो अस्पताल अपनी सामान्य व्यवस्था में काफी सुधार की मांग करते हैं.
मुस्तैद विशेषज्ञ डॉक्टर्स से लेकर दवा-पट्टी और फिर मरीजों के स्वास्थ्यवर्धक वातावरण में रखने तक सारी व्यवस्था एक अस्पताल में बुनियादी हैं. वास्तव में वर्तमान मौतों ने अस्पतालों की सामान्य व्यवस्था में भयावह दोषों को उजागर किया है.
गैस आपूर्तिकर्ता का भुगतान न होने के कारण अस्पताल को ऑक्सीजन न मिले और उससे हाहाकार मच जाए, इस पर सहसा विश्वास ही नहीं होता. किंतु ऐसा हुआ है तो जाहिर है कि ऐसी और खामियां होंगी, जिन्हें पकड़ना होगा. निष्कर्ष यह है कि योगी जी मीडिया से खफा होने और उसे सही रिपोर्टिंग की नसीहत देने की जगह इस तरह से काम करें ताकि फिर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो एवं भविष्य में जानलेवा बीमारियों से मुक्ति का आधार कायम हो सके.
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