शिकंजे में अलगाववादी
राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए द्वारा सात अलगाववादी नेताओं और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शब्बीर शाह की गिरफ्तारी के साथ कहा जा सकता है कि हुर्रियत कान्फ्रेंस के खिलाफ ठोस कार्रवाई शुरू हो गई है.
शिकंजे में अलगाववादी |
इन पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा से धन लिया और उसे कश्मीर में अशांति फैलाने तथा आतंक का कहर बरपाने में खर्च किया. इनमें अल्ताफ अहमद शाह हुर्रियत कांफ्रेंस के एक धड़े के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी के दामाद हैं.
अयाज अहमद तहरीक-ए-हुर्रियत के प्रवक्ता भी हैं. इसी तरह, शहीद उल इस्लाम हुर्रियत के दूसरे धड़े, जिसके नेता मीरवाइज उमर फारु क हैं, के प्रवक्ता हैं. इनकी गिरफ्तारी यों ही नहीं हुई है. उनको गिरफ्तार करने के पहले एनआईए ने कुछ नेताओं को दिल्ली बुलाकर और कुछ से श्रीनगर जाकर लंबी पूछताछ की थी. उसके बाद करीब दो दर्जन जगहों पर छापे मारे गए थे.
इनके साथ दिल्ली के कुछ हवाला कारोबारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी. साफ है कि एनआईए ने पुख्ता सबूत मिलने के बाद इन्हें गिरफ्तार किया है. स्वाभाविक ही पूरे देश में इसका स्वागत हो रहा है. देश के खिलाफ काम करने तथा देश को तोड़ने की खुलेआम वकालत करने वाले हुर्रियत नेताओं के प्रति सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों का नरम रवैया अब तक आलोचनाओं के केंद्र में रहा है.
लोगों को यह समझ नहीं आता था कि आखिर जो लोग देश तोड़ने की बात कर रहे हैं, पत्थर फेंकवाते हैं, आतंकवादियों का समर्थन करते हैं, पाकिस्तान से धन लेते हैं; वे इस तरह आजाद रहकर अपनी गतिविधियां कैसे चला रहे हैं! एनआईए ने हवाला के जरिए भी इनको धन मिलने का सबूत जमा किया है. वैसे पिछली मई में ही एक स्टिंग ऑपरेशन में इस समय गिरफ्तार नेताओं में से एक नईम खान का स्टिंग हुआ था, जिसमें वह कह रहे थे कि पाकिस्तान से आने वाला धन सैकड़ों करोड़ रुपये से भी ज्यादा है.
लेकिन हम तो इससे भी ज्यादा की उम्मीद करते हैं. देश चाहता है कि इनके साथ हुर्रियत के बड़े नेताओं और यासिन मलिक की भी पुख्ता सबूतों के आधार पर गिरफ्तारी हो ताकि घाटी को इनके भय और दबाव से मुक्ति मिले. उम्मीद की जानी चाहिए कि यह मामला तार्किक निष्पत्ति तक पहुंचेगा. इन नेताओं के साथ हुर्रियत के अन्य बाकी संलिप्त नेताओं को भी आतंकवादी गतिविधियों में सजा मिलेगी.
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