चीन की शरारत
सिक्किम से लेकर कैलास मानसरोवर यात्रा पर चीन का रवैया चितिंत करने वाला है.
चीन की शरारत |
चीनी सैनिकों ने पिछले दिनों सिक्किम की सीमा में प्रवेश किया. सिक्किम के डोका ला इलाके में प्रवेश कर चीनी सैनिकों ने हमारे दो बंकरों को भी तोड़ दिया. भारतीय सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों की हाथापाई का एक वीडियो भी सामने आया है.
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की है. पिछले डेढ़ महीनों में चीनी सैनिक 120 बार भारतीय सीमा में घुस चुके हैं. वर्ष 2016 में चीनी सैनिकों के घुसपैठ की करीब 240 घटनाएं हुई. सामान्यत: चीनी सैनिक घुसते हैं और विरोध करने पर वापस चले जाते हैं. लेकिन सिक्किम की घटना इससे अलग है.
ठीक इसके विपरीत चीन भारत पर ही उसकी सीमा में घुसपैठ का आरोप लगा रहा है. उसने कैलास मानसरोवर की यात्रा रोक दी. पहले नाथू ला क्षेत्र में बारिश से रास्ता खराब होने की बात की गई. साफ था कि चीन बहाना बना रहा है.
अब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा है कि नाथू ला पास के जरिए कैलास मानसरोवर की यात्रा तभी संभव हो सकती है जब भारतीय सैनिक पीछे हटें. भारतीय सैनिक कहां से पीछे हटे? अगर वे चीनी सीमा में घुसे होते तभी तो पीछे हटने की बात होती. किंतु चीन इस पर अड़ा है. वह कह रहा है कि भविष्य में यह यात्रा गतिरोध के समाधान पर निर्भर करेगी.
प्रश्न है कि चीन के ऐसे रवैये का कारण क्या है? उसको अच्छी तरह पता है कि भारतीय सुरक्षा बलों ने उसकी सीमा में घुसपैठ नहीं की है, बल्कि उसके सौनिक भारतीय सीमा में घुसे हैं. क्या वह भारत के साथ कोई नया मोर्चा खोलना चाहता है? सिक्किम के भारत में विलय को उसने दिल से कभी स्वीकार नहीं किया. अरु णाचल को वह अपने देश का भाग मानता है.
वन रोड वन बेल्ट की योजना में वह इन दोनों राज्यों को शामिल करना चाहता है. भारत ने उसकी इस योजना से अपने को अलग रखा है? क्या वह इसकी नाराजगी प्रकट कर रहा है? वह भारत को नाभिकीय आपूर्तिकर्ता समूह या एनएसजी में प्रवेश का रास्ता रोके हुए है. आतंकवादी मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के प्रयासों की बाधा बना हुआ है. तो चीन चाहता क्या है? खैर, अभी हम अपनी ओर से कोई निष्कर्ष नहीं निकालना चाहते. किंतु यह रवैया गलत है. तत्काल भारत सरकार को चीन से बात करनी चाहिए ताकि तात्कालिक गतिरोध दूर हो.
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