आप को झटका

Last Updated 31 Mar 2017 03:46:45 AM IST

आम आदमी पार्टी पंजाब और गोवा में मिली पराजय के झटके से अभी पूरी तरह उबर ही नहीं पाई थी कि उस पर एक नई आफत टूट पड़ी है.


आप को झटका

यह मसला सरकारी विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का है.

दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त बीबी टंडन की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यों वाली जांच समिति की रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने विज्ञापनों में दिल्ली सरकार की जगह केजरीवाल सरकार का उल्लेख किया है. जिसे सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन माना गया.

इसी तरह प्रचार सामग्री में जहां जनता से जुड़ी बातें होनी चाहिए थी, वह गायब थी. अलबत्ता उन्होंने अपनी और पार्टी की छवि चमकाने के लिए सरकारी विज्ञापनों का धड़ल्ले से दुरुपयोग किया है. इसलिए जांच समिति ने सरकारी विज्ञापनों में खर्च की गई 97 करोड़ की धनराशि आम आदमी पार्टी से वसूलने की सिफारिश की थी. इसी रिपोर्ट पर अब दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने आदेश जारी किया है.

दरअसल, भ्रष्टाचार का मतलब सिर्फ रित देना और लेना नहीं होता, सरकारी धन जो वास्तविक अर्थों में जनता का ही होता है, उसका दुरुपयोग भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है.

आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं की राजनीतिक समझ सिर्फ इतनी ही दूर तक जाती है कि वे ईमानदारी की परिभाषा भी अपने ही हिसाब से गढ़ते हैं. वो यह मानकर चलते हैं कि हम ही सही हैं और बाकी सब गलत हैं.

आक्रामक राजनीति की यह शैली हमेशा कारगर नहीं होती. राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में अगर अपनी जगह सुरक्षित रखनी है तो आम आदमी पार्टी को अपनी कार्यशैली पर नये सिरे से विचार करना होगा.

पार्टी के आचार और व्यवहार में यह दिखाई देना चाहिए कि वास्तव में ईमानदारी, शुचिता, सुशासन, पारदर्शिता और वैकल्पिक व्यवस्था जैसे राजनीतिक शब्दावलियों के प्रति अटूट आस्था है. सरकारी विज्ञापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जो दिशा-निर्देश हैं, उनका पालन दूसरी पार्टियों को भी ईमानदारी से करना चाहिए. क्योंकि यह मसला अंतत: आम जनता के हितों से जुड़ा हुआ है. सभी राजनीतिक दल हर रोज इसी बात की दुहाई देते रहते हैं.



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