योगी की कैबिनेट

Last Updated 21 Mar 2017 04:08:51 AM IST

उत्तर प्रदेश के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में प्राय: हर वर्ग को प्राथमिकता दी गई है.


योगी की कैबिनेट

उन्होंने समाज के हर प्रमुख जातीय, वर्ग और धार्मिक समूहों को प्रतिनिधित्व देकर अपनी सरकार के आगामी एजेंडे की तस्वीर साफ कर दी है. जिस सूझ-बूझ, निपुणता और राजनीतिक दूरदर्शिता से मंत्रिमंडल का गठन किया गया है, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘सबके साथ, सबका विकास’ के नारे को पूर्णता की ओर ले जाता है.

यही वजह है कि भाजपा के विरोधी राजनीतिक दल भी योगी के मंत्रिमंडल की आलोचना करने से अपना मुंह छिपाते रहे हैं. उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और संवेदनशील राज्य की भौगोलिक संरचना को देखते हुए पश्चिमी हिस्से से लेकर पूर्वाचल तक का ख्याल रखा गया है. मुख्यमंत्री का कार्यक्षेत्र पूर्वाचल रहा है और इस कारण वहां से सबसे ज्यादा 15 मंत्री बनाये गए हैं.

किसी को पूर्वाचल से सबसे अधिक मंत्री बनाया जाना चुभ रहा होगा. लेकिन उनको यह समझना चाहिए कि प्रदेश का यह इलाका सबसे पिछड़ा हुआ है. इसलिए यहां से ज्यादा मंत्री बनाये जाने को न्यायोचित ठहराया जा सकता है. पश्चिम से 12, अवध से नौ और बुंदेलखंड से सिर्फ एक मंत्री बनाया गया है. अलबत्ता, यह कहा जा सकता है कि बुंदेलखंड के साथ न्याय नहीं हुआ है. यह सर्वाधिक पिछड़ा इलाका है और भाजपा को यहां से सभी सीटों पर जीत हासिल हुई है. आशा की जानी चाहिए कि मंत्रिमंडल के अगले विस्तार में बुंदेलखंड से एक-दो चेहरे और सरकार में शामिल किये जाएं ताकि इस सूखाग्रस्त, गरीब और पिछड़े इलाके में विकास की रोशनी पहुंच जाए.

वरिष्ठ और अनुभवी विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दे कर उन्हें सम्मानित गया है तो नये को शामिल करके उनमें ऊर्जा और उत्साह पैदा करने की समझदारी दिखती है. पांच महिलाओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम माना जात् सकता है. एक सिख और एक मुस्लिम समाज के नेता को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करके मुख्यमंत्री ने यह संदेश दिया है कि वह सर्वधर्म समभाव में दृढ़ता से विश्वास करते हैं.

समाज में सम्प्रदायिक सद्भाव बनाये रखने के लिए चीनी सर्वहारा क्रांति के महानायक माओ-त्से-तुंग ने इस विचार का प्रतिपादन किया था. मानव समाज की भलाई के लिए दिया गया हर विचार सार्थक होता है. योगी होने के नाते मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने इस सूत्र वाक्य को अच्छी तरह समझा है. देखना है कि व्यवहार में यह किस हद तक उतरता है!



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