भारत का भ्रम टूटा
ऑस्ट्रेलिया की टीम ने पुणे में खेले गए पहले टेस्ट में टीम इंडिया को 333 रन से शर्मनाक ढंग से हराकर विराट सेना की गुरूर तोड़ दिया है.
ऑस्ट्रेलिया ने विराट सेना की गुरूर तोड़ा. |
टीम इंडिया विराट के कप्तानी संभालने के बाद से लगातार 19 टेस्ट से अजेय बनी हुई थी और लगातार पांच सीरीज जीत चुकी थी. इसलिए इस टीम को कम से कम घर में अजेय माना जाने लगा था. इस वजह से ही आस्ट्रेलिया के साथ चार टेस्ट की सीरीज शुरू होने से पहले ही भ्रमणकारी टीम के 4-0 से सफाया करने तक के दावे किए जाने लगे थे. लेकिन स्टीव स्मिथ की टीम ने वह काम कर दिखाया है, जिसकी किसी भारतीय प्रशंसक ने उम्मीद तक नहीं की थी.
आस्ट्रेलिया ने साबित किया कि अच्छे टर्निग विकेट पर खेलने का भारतीय खिलाड़ियों में माद्दा नहीं है. यहां रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा जैसे विश्व विख्यात स्पिनर मैच पर असर डालने में विफल रहे. वहीं मात्र चार टेस्ट का अनुभव रखने वाले स्टीव ओकीफे ने दिखाया कि यदि योजनावद्ध ढंग से गेंदबाजी की जाए तो दिग्गज बल्लेबाजों को भी हिलाया जा सकता है.
ओकीफे ने 70 रन पर 12 विकेट लेकर भारत में विदेशी गेंदबाजों में दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर दिया. सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन इंग्लैंड के इयान बोथम के नाम दर्ज है, उन्होंने 1979-80 के दौरे पर मुंबई टेस्ट में 106 रन पर 13 विकेट लिए थे. टर्निग ट्रैक पर पहले भी भारतीय टीम की कलई खुल चुकी है. 2012 के इंग्लैंड दौरे पर भी हम इस कारण ही सीरीज हारे थे. इससे यह अहसास होता है कि स्पिन में भारतीय बादशाहत के दिन क्या लदने लगे हैं.
सच यह है कि ऐसे विकेट पर धैर्य के साथ सतर्कतापूर्वक खेलने वाले हमारे पास बल्लेबाज नहीं हैं. अब राहुल द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे लंगर डालकर खेलने वाले बल्लेबाज नहीं हैं. कई बार लगता है कि हमारी टीम के पास तकनीकी तौर पर सॉलिड बल्लेबाजों की भी कमी है.
परिणाम है कि पूरा होमवर्क करके आई ऑस्ट्रेलिया टीम हमारा हमारे घर में गुरूर तोड़ने में सफल हो गई. कोई भी टीम जब लगातार जीतें हासिल करने लगती है तो उसके प्रयासों में गंभीरता की कमी होने लगती है. अत: सीरीज की शुरुआत में लगा झटका अच्छा साबित हो सकता है, आगे टीम के प्रदर्शन में सुधार के लिए.
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