भारतीय की हत्या

Last Updated 27 Feb 2017 05:20:45 AM IST

भारतीय इंजीनियर श्रीनिवास कुचीभोतला की अमेरिका के कंसास के एक बार में हुई हत्या ने केवल भारत में ही नहीं, उन सभी देशों के अंदर भय पैदा कर दिया है, जहां के लोग अमेरिका में रहते हैं.


अमेरिका में भारतीय इंजीनियर की हत्या.

हमला करने वाला भी कोई नवजवान या बेरोजगार नहीं था, बल्कि 51 वर्षीय वह शख्स अमेरिकी नौसेना का सदस्य था. स्वयं अमेरिकी पुलिस इसे नस्ली हमला बता रही है तो फिर हमारे लिए कहने को कुछ रह नहीं जाता है. जिस तरह गोली चलाने के पहले हत्यारे ने कहा, \'मेरे देश से निकल जाओ\', उससे यह नस्ली के साथ अंध-राष्ट्रवाद का मामला भी माना जा सकता है.

हालांकि बार में बैठे दो भारतीयों पर नस्ली टिप्पणी करने के कारण उसे वहां से निकाला गया था. इससे पता चलता है कि आम व्यवस्था ऐसे व्यवहार के पक्ष में नहीं है. लेकिन वह वापस आकर सीधे गोली चलाने लगा. उसने तो श्रीनिवास और उसके साथ बैठे एक और भारतीय पर गोली चलाई थी जो केवल घायल हुआ.

जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आने के पूर्व से अमेरिकी राष्ट्रवाद का नारा उछाला है तथा कुछ क्षेत्र के लोगों को आतंकवाद के नाम पर लक्षित किया है, उससे अमेरिका के वातावरण में बदलाव आया है. हालांकि ट्रंप प्रशासन ने कंसास की गोलीबारी को उनके बयान से जोड़ने को गलत कहा है.

वास्तव में इसमें दो राय हो सकती है कि इसे ट्रंप प्रशासन की नीतियों से जोड़ा जाए या नहीं. कारण, इसके पूर्व भी वहां भारतीय की हत्याएं हुई हैं, नस्ली हमले और घृणाजनित अपराध वहां पहले से बढ़ रहे थे.

अमेरिका में घृणाजनित अपराधों में हो रही वृद्धि के चलते वहां के प्रवासियों में भय तो पहले से है,किंतु अंतत: सब यह मान लेते हैं कि बहुसंख्य अमेरिकी सभ्य और उदार हैं और उनके साथ बुरा बर्ताव नहीं होगा. श्रीनिवास भी वैसा ही शख्स था, जिसने अपनी पत्नी से कहा था कि अमेरिका में अच्छा ही होगा.

हालांकि इस उन्मादी हत्या के दौरान ही जिस तरह एक अमेरिकी युवक ने हमलावर पुरिन्टन की गोली के सामने खड़े होकर एक भारतीय की जान बचाई, उससे साफ है कि आम अमेरिकी वैसे नहीं है. दूसरे, भारतीयों के खिलाफ वहां घृणा नहीं है.

हत्यारे ने भी उनको मध्यपूर्व का वासी समझकर हमला किया था.ऐसे ही पहले भी भारतीय अनजाने में शिकार हुए हैं. किंतु किसी क्षेत्र के लोगों के प्रति इस सीमा तक घृणा होना कि उनकी हत्या पर कोई उतारू हो जाए स्वयं अमेरिका के लिए अच्छा नहीं है. ट्रंप प्रशासन को इस स्थिति को लेकर चिंतित होना चाहिए.

 

 

संपादकीय


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