बीसीसीआई की एजीएम में कई निर्णय, आईसीसी की बैठक में शामिल होंगे जय शाह

Last Updated 02 Dec 2019 03:06:29 AM IST

सौरव गांगुली की अगुआई वाले बीसीसीआई ने रविवार को उसके पदाधिकारियों के कार्यकाल को सीमित करने वाले प्रशासनिक सुधारों में ढिलाई देने के लिए उच्चतम न्यायालय की स्वीकृति लेने का फैसला किया और साथ ही आईसीसी की मुख्य कार्यकारियों की समिति की बैठक में भाग लेने के लिए सचिव जय शाह को अपना प्रतिनिधि बनाया।


बैठक में भाग लेने जाते बीसीसीआई के नये अध्यक्ष सौरव गांगुली।

पूर्व भारतीय कप्तान गांगुली के कार्यकाल को आगे बढाने के लिए कार्यकाल की सीमा से जुड़े नियम में ढिलाई के लिए उच्चतम न्यायालय की स्वीकृति और शाह को आईसीसी बैठक के लिए नियुक्त करने का फैसला यहां बीसीसीआई की 88वीं वाषिर्क आम बैठक में किया गया। गांगुली ने एजीएम के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘आखिर में फैसला अदालत ही करेगी।’

मौजूदा संविधान के अनुसार अगर किसी पदाधिकारी ने बीसीसीआई या राज्य संघ में मिलाकर तीन साल के दो कार्यकाल पूरे कर लिए हैं तो उसे तीन साल का अनिवार्य ब्रेक लेना होगा। गांगुली ने 23 अक्टूबर को बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभाला था और उन्हें अगले साल पद छोड़ना होगा लेकिन छूट दिए जाने के बाद वह 2024 तक पद पर बने रह सकते हैं। मौजूदा पदाधिकारी चाहते हैं कि अनिवार्य ब्रेक किसी व्यक्ति के बोर्ड और राज्य संघ में छह साल के दो कार्यकाल अलग-अलग पूरा करने पर शुरू हो। इस कदम को अगर स्वीकृति मिलती है तो सचिव जय शाह के कार्यकाल को बढाने का रास्ता भी साफ हो जाएगा।

शाह के मौजूदा कार्यकाल में भी एक साल से कम समय बचा है। इसके अलावा शाह को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की मुख्य कार्यकारियों की समिति की भविष्य की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए भारत का प्रतिनिधि चुना गया। उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) जब बोर्ड का प्रशासनिक कामकाज देख रही थी तब बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी इन बैठकों में बीसीसीआई के प्रतिनिधि थे। लेकिन अब पूर्ण बोर्ड के पदभार संभालने के बाद यह जिम्मेदारी एक बार फिर सचिव को सौंप दी गई है।

गांगुली ने कहा, ‘आईसीसी सीईसी में बोर्ड का प्रतिनिधि सचिव होगा, यह आईसीसी का नियम है।’ बीसीसीआई ने हालांकि आईसीसी के बोर्ड की बैठक के लिए अभी अपने प्रतिनिधि पर फैसला नहीं किया है।  इसके अलावा बोर्ड ने क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) की नियुक्ति को टालने का फैसला किया। गांगुली ने कहा, ‘हम सीएसी गठित करेंगे और हम (लोकपाल) न्यायमूर्ति डीके जैन से मिलेंगे। मुझे और वीवीएस (लक्ष्मण) को इसमें शामिल नहीं पाया गया था।

हमें इस पर स्पष्टता की जरूरत है कि हितों का टकराव क्या है और क्या नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘यह नियम सभी को रोकता है, इसलिए हम सीएसी का गठन नहीं कर सकते। टकराव (का नियम) केवल हमारे (पदाधिकारियों के) लिये होना चाहिए।’ नए संविधान में हितों के टकराव से जुड़े नियम के कारण सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और गांगुली ने सीएसी से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद कपिल देव, शांता रंगास्वामी और अंशुमन गायकवाड़ ने पुरुष टीम के मुख्य कोच की निुयक्ति की थी। पुरुष टीम के मुख्य कोच के रूप में रवि शास्त्री का कार्यकाल बढाया गया था। गांगुली ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि सचिन और लक्ष्मण वापसी करना चाहेंगे।’ सीएसी हितों के टकराव के कथित मामले के कारण विवाद में घिर गई थी।

भाषा
मुंबई


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment