वैज्ञानिकों ने खोजा दुनिया का सबसे ऊष्मा प्रतिरोधी पदार्थ

Last Updated 27 Dec 2016 01:33:39 PM IST

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे पदार्थ की पहचान कर ली है जो लगभग 4000 डिग्री सेल्सियस के तापमान को सहन कर सकता है.


दुनिया का सबसे ऊष्मा प्रतिरोधी पदार्थ मिला

यह खोज बेहद तेज हाइपरसोनिक अंतरिक्ष वाहनों के लिए बेहतर ऊष्मा प्रतिरोधी कवच बनाने का रास्ता खोल सकती है, ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने खोज की है कि हैफ्नियम कार्बाइड का गलनांक अब तक दर्ज किसी भी पदार्थ के गलनांक से ज्यादा है. 

टैंटेलम कार्बाइड और हैफ्नियम कार्बाइड ‘रीफ्रेक्ट्री सीरेमिक्स’ हैं, इसका अर्थ यह है कि यह असाधारण रूप से ऊष्मा के प्रतिरोधी हैं, अत्यधिक ऊष्मा को सहन कर सकने की इनकी क्षमता का अर्थ यह है कि इनका इस्तेमाल तेज गति के वाहनों में ऊष्मीय सुरक्षा प्रणाली में और परमाणु रिएक्टर के बेहद गर्म पर्यावरण में ईंधन के आवरण के रूप में किया जा सकता है. 
 
इन दोनों ही यौगिकों के गलनांक के परीक्षण प्रयोगशाला में करने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध नहीं थी, ऐसे परीक्षण से यह देखा जा सकता है कि यह कितने अधिक गर्म पर्यावरण में काम कर सकते हैं, शोधकर्ताओं ने इन दोनों यौगिकों की गर्मी सहन कर सकने की क्षमता के परीक्षण के लिए लेजर का इस्तेमाल करके तेज गर्मी पैदा करने वाली एक नई प्रौद्योगिकी विकसित की है. 
 
उन्होंने पाया कि यदि इन दोनों यौगिकों को मिश्रित कर दिया जाए तो उनका गलनांक 3905 डिग्री सेल्सियस था, लेकिन दोनों यौगिकों को अलग-अलग गर्म किए जाने पर उनके गलनांक अब तक ज्ञात पदार्थो के गलनांक से ज्यादा पाए गए, टैंटेलम कार्बाइड 3768 डिग्री सेल्सियस पर गल गया जबकि हैफ्नियम कार्बाइड का गलनांक 3958 डिग्री सेल्सियस था, यह निष्कर्ष नई पीढ़ी के हाइपरसोनिक वाहनों, यानी अब तक के सबसे तेज अंतरिक्षयानों के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है.
 



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