उत्तरकाशी: 70 लोगों को बचाया गया, 50 से अधिक अब भी लापता: सेना
भीषण बाढ़ से तबाह हुए धराली गांव में चलाए जा रहे राहत और बचाव अभियान के तीसरे दिन बृहस्पतिवार को सेना ने कहा कि अब तक 70 लोगों को बचाया जा चुका है और 50 से अधिक लोग अब भी लापता है।
![]() उत्तरकाशी: 70 लोगों को बचाया गया |
अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार दोपहर बाद बादल फटने से खीरगंगा नदी में आयी भीषण बाढ़ में चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी। बचाव दलों ने बुधवार को दो शव बरामद किए थे लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ये उन्हीं चार व्यक्तियों में से ही किसी के हैं।
प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि गंगोत्री तथा आसपास के क्षेत्रों में फंसे हुए करीब 300 लोगों को अब तक हर्षिल लाया गया है। उन्होंने बताया कि सभी लोग सुरक्षित हैं ।
सुमन ने बताया कि इन लोगों में विभिन्न राज्यों से आए हुए तीर्थयात्री शामिल हैं । इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, असम, कर्नाटक, तेलंगाना, और पंजाब के श्रद्धालु शामिल हैं।
उन्नत और आधुनिक उपकरणों को धराली तक पहुंचाने के प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं ताकि मलबे में दबे लोगों की तलाश का काम रफ्तार पकड़ सके।
भारतीय सेना ने अन्य अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए धराली और निकटवर्ती हर्षिल में मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियान तेज कर दिया है। अनेक स्थानों पर भूस्खलन और सड़के टूटने के कारण यह क्षेत्र अब भी अन्य क्षेत्रों से कटा हुआ है ।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में सेना ने कहा कि 70 नागरिकों को अब तक बचा लिया गया है जबकि 50 से अधिक लोग अभी लापता हैं ।
विज्ञप्ति के अनुसार, एक जूनियर कमीशन अधिकारी और सेना के आठ जवान भी लापता बताए जा हैं। नौ सैन्यकर्मियों और तीन नागरिकों को हेलीकॉप्टर से देहरादून लाया गया है। गंभीर रूप से घायल तीन लोगों को एम्स ऋषिकेश में भती कराया गया है जबकि आठ अन्य को उत्तरकाशी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है ।
सेना ने बताया कि कई स्थानों जैसे भटवाड़ी, लिंचीगाड़, हर्षिल के पास, गंगनानी और धराली में सड़क संपर्क टूटा हुआ है। सैन्य और अन्य टीमें विभिन्न जगहों पर फंसे लोगों को निकालने, राहत पहुंचाने तथा संपर्क बहाल करने के काम में दिन—रात जुटी हुई हैं।
विज्ञप्ति के अनुसार, हर्षिल और नेलोंग में सैन्य हैलीपैड संचालित है और गंगोत्री तक सड़क से जुड़ा है। धराली का नागरिक हेलीपैड कीचड़ के कारण संचालन की अवस्था में नही है।
सेना के अनुसार, इंजीनियरों, चिकित्सा दलों और बचाव विशेषज्ञों सहित 225 से ज़्यादा बचावकर्मी मौके पर मौजूद हैं। खोजी और बचाव कुत्तों को भी मौके पर तैनात किया गया है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि एक रीको रडार टीम टेकला गांव में है और एक अन्य रीको रडार को भी तैनाती में शामिल किया जा रहा है।
चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर देहरादून के जॉलीग्रांट हवाई अड्डे पर प्रतीक्षा कर रहे हैं और मौसम में सुधार होते ही नागरिकों को निकालने का काम शुरू किया जाएगा ।
राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के समन्वय से सहस्त्रधारा से पांच सिविल हेलीकॉप्टर मातली, भटवाड़ी और हर्षिल के बीच बचाव कार्यों के लिए उड़ान भर रहे हैं ।
मातली हेलीपैड पर एक अस्थायी विमानन अड्डा स्थापित किया जा रहा है।
विज्ञप्ति के अनुसार, अगले 24-48 घंटों के लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है जिसमें चिनूक हेलीकॉप्टरों द्वारा अर्धसैनिक बलों और चिकित्सा दलों को हर्षिल तक पहुंचाना, तथा एमआई-17 हेलीकॉप्टरों द्वारा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कर्मियों और चिकित्साकर्मियों को नेलोंग तक पहुंचाना, उत्तरकाशी और टेकला से आगे सड़क बहाल करना तथा वापसी में नेलोंग हेलीपैड से पर्यटकों को निकालना शामिल है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बचाव कार्यों की निगरानी के लिए बुधवार से यहां डेरा डाले हुए हैं ।
एसडीआरएफ के महानिरीक्षक (आईजी) अरूण मोहन जोशी ने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकता आज उन्नत उपकरणों को हवाई मार्ग के जरिए मौके पर पहुंचाना है। उन्नत उपकरणों के साथ आ रही हमारी टीम बुधवार को सड़कों के अवरूद्ध होने के कारण आगे नहीं बढ़ सकीं।’’
उन्होंने बताया कि धराली में 50 से 60 फुट ऊंचा मलबे का ढेर है और आपदा में लापता लोग उसके नीचे फंसे हो सकते हैं।
जोशी ने बताया कि उन्नत उपकरण विशाल मलबे में लापता लोगों की तलाश करने में बचाव कर्मियों की मदद करेंगे।
धराली गंगोत्री धाम की ओर जाने वाले रास्ते में पड़ने वाला एक प्रमुख पड़ाव है जो मंदिर से 20 किलोमीटर पहले पड़ता है।
अधिकारियों ने बताया कि लापता लोगों को ढूंढने के लिए ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ और खोजी कुत्तों की भी मदद लिए जाने की संभावना है।
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