Uttarakhand UCC: उत्तराखंड विधानसभा में आज पास हो होगा यूसीसी बिल, हलाला व बहुविवाह अब अपराध

Last Updated 07 Feb 2024 07:04:32 AM IST

Uttarakhand UCC : उत्तराखंड विधानसभा सत्र की कार्यवाही मंगलवार को दोपहर दो बजे के बाद फिर से शुरू हुई। इससे पहले सुबह जब विधानसभा के विशेष सत्र की कार्यवाही शुरू हुई, तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिकता कानून विधेयक 2024 को सदन में पेश किया था। इस दौरान सदन में 'जय श्रीराम' और 'वंदे मातरम' के नारे लगाए गए, जिसका विपक्ष ने विरोध किया।


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

बहुचर्चित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विधेयक मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में प्रस्तुत हो गया।

यूसीसी विधेयक के प्रस्तुत होते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कैबिनेट मंत्रियों व भाजपा सदस्यों की ओर से बधाइयां मिली। बिल आज ही पारित भी होना था, लेकिन चर्चा के बाद स्पीकर ने इस पर कल भी चर्चा कराने का निर्णय लिया और अब यह ऐतिहासिक बिल बुधवार को पारित होगा।

इस दौरान भाजपा सदस्यों की ओर से जयश्री राम और भारत माता के नारे लगाये गये। बिल प्रस्तुत होने के बाद कुछ देर तक विधानसभा का सभामंडप जय श्री राम के जयघोष से गूंज उठा।

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्यमंत्री ने प्रवर समिति के द्वारा संशोधन के बाद वापस किये गये राज्य आंदोलनकारी आरक्षण बिल सदन के पटल पर रखा।

इस बीच विपक्ष की ओर से शोरगुल होता रहा। इसके बाद स्पीकर ने व्यवस्था के सवाल पर विपक्ष के नेताओं की आपत्ति को सुना। व्यवस्था के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने सत्तापक्ष पर बहुमत का नाजायज लाभ उठाने और विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया। 11:25 बजे पीठ ने सदन की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।

संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि आज हम सब गौरवशाली हैं। पूरे देश के अंदर उत्तराखंड एक ऐसा राज्य बनने जा रहा है, जहां यूसीसी लागू करने की पहल सीएम धामी ने की है। कुछ लोग तुष्टिकरण की राजनीति करते थे, आज हम संतुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।

मदन कौशिक ने कहा कि भाजपा ने वादा किया था कि सरकार दोबारा सत्ता में आती है तो यूसीसी बिल लागू किया जाएगा। इस बिल से एक ओर जहां महिलाएं अधिकार संपन्न होंगी, वहीं, इस बिल का लाभ समाज के सभी वर्गों को मिलेगा। यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों, के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के समान कानून लागू होंगे।

बता दें कि समान नागरिकता कानून के लागू होने के बाद लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। अनुसूचित जनजातियों को विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है। विधेयक में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति का अधिकार, विरासत और गोद लेना जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों को मुख्य रूप में ध्यान में रखा गया है। इसमें शादी के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी, जबकि, लड़के की उम्र 21 वर्ष रखी गई है।

विधेयक के प्रमुख बिंदु

►   शादी के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी।
►   सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष  अनिवार्य होगी जबकि लड़के की उम्र 21 वर्ष रखी गई है।
►   विवाह के समय दोनों ओर से, न तो वर की ओर से जीवित पत्नी हो और न वधु की ओर से जीवित पति हो।
►   बहुविवाह गैरकानूनी, एक पति/पत्नी का नियम सभी धमोर्ं पर लागू होगा
►   पति-पत्नी को तलाक लेने का समान हक।
►   तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून।
►   संपत्ति बंटवारे में लड़की का समान अधिकार रहेगा और ये सभी धर्मों में लागू होगा।
►   फारसी समुदाय में पहले तलाक के बाद 2 साल का समय दिया जाता था, लेकिन अब उस अवधि को  6 माह कर दिया गया है।
►   यूसीसी में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को तलाक के बाद उनको भरण-पोषण देने का प्रावधान भी किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से हमने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता से राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लाने का जो संकल्प प्रकट किया था, उसे आज हम पूरा करने जा रहे हैं। हमारी सरकार ने पूरी जिम्मेदारी के साथ समाज के सभी वर्गों को साथ लेते हुए समान नागरिक संहिता का विधेयक विधानसभा में पेश कर दिया है। देवभूमि के लिए वह ऐतिहासिक क्षण निकट है जब उत्तराखण्ड आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विजन एक भारत, श्रेष्ठ भारत का मजबूत आधार स्तम्भ बनेगा।  -पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

समयलाइवडेस्क
देहरादून


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