हल्द्वानी रेलवे भूमि मामला : आईजी ने संभाला मोर्चा, पीड़ितों को मिला कांग्रेस व ओवैसी का समर्थन
हलद्वानी रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में पांच हजार से अधिक लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आस लगाए बैठे हैं। इधर रेलवे और प्रशासन के अधिकारी अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। वहीं इस मामले में कुमाऊं रेंज के आईजी नीलेश आनंद भरणे का ताजा बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने बनभूलपुरा अतिक्रमण क्षेत्र के लिए 14 कंपनी पीएसी, 5 कंपनी रैपिड एक्शन फोर्स की मांग की है।
![]() हल्द्वानी रेलवे भूमि मामला : आईजी ने संभाला मोर्चा |
गढ़वाल रेंज से 1000 महिला-पुरुष सिपाही की मांग की गई है। इसके अलावा बड़ी संख्या में होमगार्ड और कुमाऊं रेंज के पुलिस अधिकारी और कर्मचारी भी बुलाए गए हैं। साथ ही प्रशासन से अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर जेसीबी, पोकलैंड, वेरेगेटिंग का सामान सहित अन्य महत्वपूर्ण आवश्यक चीजें उपलब्ध कराने को कहा गया है। सभी फोर्स 8 जनवरी तक हल्द्वानी पहुंच जाएंगी।
आईजी भरणे ने बताया कि अतिक्रमण क्षेत्र में रह रहे लोगों को उकसाने के लिए असामाजिक तत्व पर भी पुलिस पूरी तरह निगरानी रख रही है। लोकल इंटेलिजेंस की एक्स्ट्रा यूनिट बुलाई गई है। साथ ही पुलिस भड़काऊ भाषण, क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों से लेकर सोशल मीडिया तक पैनी नजर बनाए हुए है। किसी प्रकार की भड़काऊ व हिंसात्मक पोस्ट पर कार्रवाई की जाएगी।
डीएम ने 29 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने नगर निगम को सफाई करने, जलसंस्थान को स्टेडियम में पानी चलाने और लोनिवि को जनरेटर, शौचालय, स्नानघर और किचन बनाने के निर्देश दिए थे। मिनी स्टेडियम हल्द्वानी में भी पानी, शौचालय, स्नानघर बनाने के निर्देश दिए थे। उधर लोनिवि ने स्नानघर, किचन बनाने का काम शुरू कर दिया है। जलसंस्थान ने अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में पानी की व्यवस्था कर दी है। मिनी स्टेडियम में भी स्नानघर बनाए जा रहे हैं।
जिला प्रशासन ने रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए अतिक्रमण क्षेत्र को चार सुपर जोन में बांटा है। सुपर जोन में एडीएम स्तर के अधिकारी और जोन, सेक्टर में एसडीएम स्तर के अधिकारी तैनात होंगे। इसके लिए 10 एडीएम और 30 एसडीएम मांगे गए हैं। अतिक्रमण तोड़ने की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, प्रशासन की तैयारियां भी तेज होती जा रही हैं। जिला प्रशासन ने अतिक्रमण वाले क्षेत्र को चार सुपर जोन, 14 जोन और 30 सेक्टर में बांटा है।
सूत्रों के अनुसार, सुपर जोन में एडीएम और एसपी रैंक के अधिकारी तैनात होंगे। जोन में एडीएम, एएसपी रैंक और सेक्टर में एसडीएम, तहसीलदार, सीओ रैंक के अधिकारी तैनात होंगे। डीएम धीराज गग्र्याल ने बताया कि तैयारियां तेज कर दी गई हैं। पांच जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का जैसा आदेश आएगा, उस हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।
वहीं मामले की जद में आ रहे क्षेत्र में लाउडस्पीकर भी लगा दिए गए हैं। हल्द्वानी क्षेत्र को सेक्टर और जोन में बांट दिया गया है। अतिक्रमण हटाने के दौरान सभी व्यवस्था रहेंगी। रेलवे प्रशासन के सहयोग से कुछ जगह पर बैरिकेडिंग का भी काम चल रहा है। जिससे कि अतिक्रमण हटाने के दौरान उपद्रवियों को रोका जाए। कोई भी व्यक्ति कानून व्यवस्था का उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, बाहर से समर्थन देने पहुंच रहे लोगों को भी चिन्हित किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि जो भी संदिग्ध व्यक्ति अतिक्रमणकारियों को भड़काने की कोशिश करेगा उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इंटेलिजेंस और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से संदिग्धों पर नजर बनाई जा रही है। इसके अलावा सत्यापन अभियान भी पुलिस द्वारा चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र से 10 जनवरी से अतिक्रमण हटाना जाना है।
बनभूलपुरा अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए सोमवार (2 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी के शराफत खान समेत 11 लोगों की याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद की ओर से दाखिल की गई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 5 जनवरी 2023 को सुनवाई करने को कहा है।
इससे पहले मामले में अतिक्रमणकारियों को रेलवे नोटिस जारी कर चुका हैं। पूर्वोत्तर रेलवे ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि 7 दिन के अंदर जगह खाली कर दे, नहीं तो जबरदस्ती अतिक्रमण हटाएगा। उस पर आने वाला खर्च कब्जेदारों से वसूला जाएगा। नोटिस जारी होने से एक दिन पहले रेलवे की टीम ने पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में बनभूलपुरा अतिक्रमण क्षेत्र की ड्रोन मैपिंग की। ड्रोन के माध्यम से भवनों की पूरी फोटो और वीडियोग्राफी हो चुकी है। हाईकोर्ट के आदेश पर बनभूलपुरा क्षेत्र से रेलवे की करीब 78 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाया जाना है। इस दौरान अतिक्रमण की जद में करीब 4365 घर आ रहे हैं। न्यायालय ने हल्द्वानी में जो लोग 60 से 70 वर्षो से रह रहे हैं, उन घरों को तोड़ने का आदेश दिया है।
पूर्व सीएम व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत मामले को लेकर हल्द्वानी में उपवास पर बैठे। रावत ने रेलवे भूमि के अतिक्रमण के मामले में कहा कि पुराने समय से रह रहे लोगों का पुनर्वास किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार योजनाबद्ध तरीके से इनका पुनर्वास कर सकती है।
वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायालय में अपना पक्ष सही तरह से नहीं रखा है। उन्होंने कहा कि रेलवे जिसको अपनी जमीन बता रहा है, उस जगह पर कई सरकारी स्कूल, फ्री होल्ड जमीन और सरकारी संपत्ति हैं। इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखे। उन्होंने कहा कि सरकार के मन में खोट है और वह किसी भी तरह से पीड़ितों को बेदखल करना चाहती है।
हल्द्वानी रेलवे भूमि का मामला अब धीरे-धीरे राष्ट्रीय मुद्दे का रूप ले रहा है। ट्विटर पर भी हल्द्वानी ट्रेंड होने लगा है। अब छोटे से बड़े नेता इस मामले से जुड़ते नजर आ रहे हैं। वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अतिक्रमण हटाओ अभियान के खिलाफ जोरदार हमला बोला है। उनके निशाने पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। हालांकि मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मामले की सुनवाई 5 जनवरी 2023 को होगी। वहीं अब 5 हजार से अधिक लोगों की नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।
क्या है पूरा मामला :
रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का मामला सन 2016 में शुरू हुआ था, जब संबंधित मामले में हाईकोर्ट ने अतिक्रमण खाली करने को कहा था, लेकिन तत्कालीन समय पर रेलवे में बसे लोगों की दलील थी कि उनके तथ्यों को नहीं सुना गया, जिसके बाद यह मामला हाईकोर्ट में चलता रहा और दिसंबर 2022 के आखिरी सप्ताह में नैनीताल हाईकोर्ट ने 1 सप्ताह का नोटिस देकर रेलवे की भूमि से अतिक्रमणकारियों को हटाने के आदेश जारी किए। इसके बाद से ही रेलवे और स्थानीय प्रशासन के समन्वय बैठक शुरू हुई और अतिक्रमण हटाने को लेकर यह कार्रवाई शुरू की गई।
उधर दूसरी तरफ, अतिक्रमण की जद में आए लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया और इस ठंड में हजारों बच्चों महिलाओं और बुजुर्गो को बेघर न करने की सरकार से मांग की। दरअसल, रेलवे की 78 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण की जद में 4363 घर तोड़े जाने हैं, जिसमें हजारों की संख्या में लोग प्रभावित होंगे।
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