समाचारों की प्रस्तुति में संतुलित रहें पत्रकार : त्रिवेंद्र सिंह रावत

Last Updated 21 Oct 2019 03:06:13 AM IST

राष्ट्रीय सहारा देहरादून की 12वीं वषर्गांठ के अवसर पर राष्ट्रीय सहारा के अतिथि संपादक के रूप में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पत्रकारों को खबरें परोसते समय सभी पक्षों में संतुलन बनाये रखना चाहिए।


राष्ट्रीय सहारा देहरादून की 12वीं वषर्गांठ के मौके पर ‘अतिथि संपादक’ के रूप में उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, सहारा न्यूज नेटवर्क के सीओओ गौतम सरकार, राष्ट्रीय सहारा के समूह संपादक मनोज तोमर व अन्य।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सहारा राष्ट्रवाद की भावना के लिए जाना जाता है। अपनी स्थापना से राष्ट्रीय सहारा कई हिंदी भाषी राज्यों में विस्तार कर चुका है। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा देहरादून को 12वीं वषर्गांठ की बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि एक अच्छी बात है कि राष्ट्रीय सहारा पूरे राज्य को कवर करता है।

राजनीति और पत्रकारिता के रिश्ते पर उन्होंने कहा कि दोनों में बहुत मामलों में समानता है। राजनीति और पत्रकारिता  दोनों में रचनात्मकता कर्म हैं।  दोनो में अगर सामंजस्य हो तो समाज को बहुत कुछ दिया जा सकता है। अखबार को ऐसी रचनात्मक खबरों को स्पेस देनी चाहिए कि कोई किसान या युवा क्या नया कर रहा है। मुख्यमंत्री ने खबरों से जुड़ा पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के एक संस्मरण सुनाया। कलाम एक बार इजराइल के एक होटल में रुके थे तो आधी रात में बड़ा विस्फोट हुआ। उन्होंने सोचा कि अगले दिन यह खबर अखबार के पहले पन्ने में होगी लेकिन सुबह अखबार देखा तो वह बीच के किसी पन्ने में दिखी। इससे पता चलता है कि वहां किस तरह की खबरों को प्राथमिकता दी जाती है।

उन्होंने कहा कि पूर्वाग्रह, नकारात्मकता और हर बात में छिद्रान्वेषण ठीक नहीं है। आज भी पाठक अखबार में छपे शब्दों पर भरोसा करते हैं। समाचार पत्रों की विसनीयता है और जनता उन पर यकीन करती है। इस बात को ध्यान में रखकर खबर का काम करना चाहिए। यह विचार करना चाहिए कि हम समाज को क्या परोस रहे हैं। समाज में बहुत कुछ घटित होता है लेकिन क्या वह हम अपने बच्चों के सामने पढ़ सकते हैं।

पत्रकारिता से जुड़ाव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जब वह  स्कूल में थे, उसी समय वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। तभी तय कर लिया था कि नौकरी नहीं करनी है। पिताजी भी यही कहते थे कि अपना काम कर लेना लेकिन नौकरी नहीं करनी।  राजनीति में आने की इच्छा भी नहीं थी लेकिन 2002 में मुझे उस ओर धकेला गया। मूलत: मैं सामाजिक कार्यकर्ता हूं। राजनीति में सामाजिक क्षेत्र के  लोगों को आना चाहिए, इससे बेहतर होगा। प्रदेश की जनता को अच्छे समाचार पढ़ने चाहिए। पढ़ने ही नहीं गुनने चाहिए।

खेती कला से जुड़ी सफलता की कहानियां और लोगों को उन्हें अपनाने की प्रेरणा देती हैं। अगर खबर अहम लगती है तो वे सीधे संपादक को प्रतिक्रिया दे सकते हैं सोशल मीडिया से उसका प्रसार कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सनसनीखेज खबरों से बचना चाहिए। इस अवसर पर सहारा न्यूज नेटवर्क के सीओओ गौतम सरकार, राष्ट्रीय सहारा के समूह संपादक मनोज तोमर, वीपी सेल्स मार्केटिंग जी. एन. सिंह, यूनिट हेड मृदुल बाली, स्थानीय संपादक जितेन्द्र नेगी व अन्य कर्तव्ययोगी साथी उपस्थित रहे।

कई दिनों बाद पकड़ी कलम
जब उनसे पूछा गया कि वह मॉस कम्यूनिकेशन का कोर्स करने के बाद पत्रकारिता भी कर चुके हैं ऐसे में वर्षो बाद एक संपादक के रूप काम करने पर वह कैसा अनुभव कर रहे हैं तो श्री रावत ने कहा कि अच्छा लग रहा है। कई दिनों बाद कलम पकड़ी है। 89-90 में एक साप्ताहिक पत्रिका का संपादन किया था। उसके बाद आज ही संपादक की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला है। सभी को लिखना चाहिए। जो चीजें-घटनाएं हमारे मन को स्पर्श करती हैं, उसके अहसास को कलमबंद करना चाहिए।



 

सहारा न्यूज ब्यूरो
देहरादून


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