उत्तराखंड के साथ भेदभाव बंद करे केन्द्र, भागीरथी क्षेत्रीय मास्टरप्लान को मंजूरी मिले: रावत

Last Updated 05 Jan 2017 04:15:42 PM IST

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केन्द्र की मोदी सरकार पर उत्तराखंड के साथ विभिन्न मामलों में सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया.


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत(फाइल फोटो)

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केन्द्र की मोदी सरकार पर उत्तराखंड के साथ विभिन्न मामलों में सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुये गुरूवार को कहा कि केन्द्र के इस व्यवहार से राज्य के विकास कार्यों में बाधा खड़ी हो रही है. केन्द्र दूसरे राज्यों के लिये अलग मानदंड जबकि उत्तराखंड के लिये अलग मानदंड अपना रहा है.
  
मोदी सरकार की उत्तराखंड के प्रति जनविरोधी नीतियों एवं मानसिकता के खिलाफ दिल्ली में जंतर मंतर पर सत्याग्रह व उपवास का आयोजन किया गया था. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुये कहा कि केन्द्र उत्तराखंड के विकास में बाधा खड़ी कर रहा है. पारिस्थितिकीय लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र :इकोसिंसिटिव जोन: के मामले में उत्तराखंड के लिये अलग मानदंड अपनाये जा रहे हैं जबकि हिमाचल प्रदेश और दूसरे प्रदेशों के लिये अलग मानदंड रखे गये हैं.
  
रावत ने कहा कि उत्तराखंड के क्षेत्रीय मास्टर प्लान को केन्द्र सरकार तुरंत मंजूरी दे. उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्रीय मास्टर प्लान को खारिज करने के आदेश को केन्द्र तुरंत वापस ले. राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार को भेजे गये भगीरथी ईको-सेंसिटिव जोन के क्षेत्रीय मास्टर प्लान को यथावत रखते हुये तुरंत मंजूरी दी जाये.’’
  
रावत ने कहा कि जिस प्रकार हिमाचल प्रदेश सहित दूसरे पहाड़ी राज्यों को पर्यावरण मानकों में छूट दी गई है, ‘‘पश्चिमी घाट पारिस्थितिकीय संवेदनशील क्षेत्र’’ में महाराष्ट्र को दी गई है, उसी प्रकार उत्तराखंड को भी दी जानी चाहिये. उन्होंने कहा कि अन्य प्रदेशों की तरह उत्तराखंड को भी 25 मेगावाट क्षमता तक की जलविद्युत परियोजनाओं के लिये अनुमति दी जानी चाहिये ताकि राज्य का तेजी से विकास हो सके.


 
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने मोदी सरकार को नोटबंदी के मुद्दे पर आड़े हाथों लिया और कहा कि इससे राज्य को 1,000 करोड़ रपये का नुकसान हुआ, लेकिन केन्द्र ने कोई सहायता नहीं पहुंचाई. गरीब परिवारों को सस्ता गेहूं उपलब्ध कराने के लिये भी राज्य को स्वयं 350 करोड़ रपये की व्यवस्था करनी पड़ी.
  
उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में राज्य में लगाये गये आईडीपीएल और एचएमटी कारखानों को फिर से खड़ा करने के बजाय केन्द्र सरकार ने बंद करने का फैसला किया है. यह उत्तराखंड के साथ सरासर अन्याय है.
  
इस अवसर पर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, प्रदेश के राज्य मंत्री धीरेंद्र प्रताप सिंह सहित अनेक मंत्री और कार्यकर्ता उपस्थित थे.
  
किशोर उपाध्याय ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण कानूनों का पालन कर रही है और इसके लिये उसे केन्द्र से ग्रीन बोनस मिलना चाहिये. उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के नाते पानी, वन और भूमि यही उसकी सबसे बड़ी संपत्ति हैं. राज्य को टिहरी बांध सहित वहां लगने वाली सभी बिजली परियोजनाओं और जल संपत्ति के प्रशासन और नियंतण्रका अधिकार मिलना चाहिये.
 

 

भाषा


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