उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि शुकतीर्थ सिर्फ न सिर्फ एक आध्यात्मिक स्थल है, बल्कि भारत की 5,000 वर्ष पुरानी सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत का जीवंत प्रमाण है जो विश्व में अद्वितीय है।

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संत स्वामी ज्ञान भिक्षुक दास जी महाराज की 65वीं पुण्यतिथि पर संत समूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “जब मध्यकाल में देश विदेशी आक्रमणों से जूझ रहा था और इसकी संस्कृति और धर्म पर हमला हो रहा था, तब सतगुरु रविदास जी एक दिव्य प्रकाश के रूप में उभरे।”
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि सतगुरु रविदास ने देश को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हुए उदाहरण प्रस्तुत किया, जो आज भी प्रासंगिक है।
योगी ने कहा, ''उन्होंने सामाजिक बुराइयों और अंधविश्वासों के खिलाफ जागरूकता फैलाई, कर्मकांड की बजाय कर्म में आस्था जगाई और आध्यात्मिक चेतना का प्रसार किया।''
उन्होंने संत की प्रसिद्ध उक्ति ''मन चंगा तो कठौती में गंगा'' का उल्लेख किया।
आध्यात्मिक सभा में सतगुरु समनदास जी महाराज को भी याद किया गया।
एकजुट समाज के निर्माण में संतों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ''संतों ने हमेशा एकता और सद्भाव का मार्ग दिखाया है। यही मार्ग कैराना और कांधला जैसी घटनाओं (पलायन की खबरें) को रोकता है, हमें सुरक्षा, मार्गदर्शन और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने का साहस देता है।''
उन्होंने शुकतीर्थ को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह स्थान ''5,000 वर्षों से भी अधिक समय से अस्तित्व में है।''
मुख्यमंत्री ने कहा, '' यदि दुनिया में कोई परंपरा है जिसका इतना लंबा इतिहास दर्ज है, तो उसे सामने आने दीजिए। केवल आप (यहां मौजूद लोग और संत) ही ऐसी शाश्वत विरासत का दावा कर सकते हैं।''
शुकतीर्थ या शुक्रताल मुजफ्फरनगर में स्थित हैं जहां पूरे भारत से तीर्थयात्री आते हैं। यह वह स्थल है जिसके बारे में माना जाता है कि यहां शुकदेव गोस्वामी ने लगभग 5,000 साल पहले अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवतम सुनाया था।
गंगा नदी के किनारे बसा यह पवित्र स्थान मुजफ्फरनगर से लगभग 28 किलोमीटर दूर है।
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