मायावती ने फिर जातिगत जनगणना की दोहरायी मांग, कहा- संकीर्ण जातिवादी सोच के लोग OBC गणना का विरोध कर रहे
बहुजन समाज पार्टी (BSP) अध्यक्ष मायावती ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस पर वोटों की खातिर ओबीसी समाज को लुभाने का आरोप लगाते हुये राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना की मांग दोहरायी है।
![]() बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती (फाइल फोटो) |
बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में और राष्ट्रीय स्तर पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की गणना कराने से इनकार करने वाले उसी आरक्षण विरोधी संकीर्ण जातिवादी सोच के लोग हैं, जो अनुसूचित जाति (SC) व अनुसूचित जनजाति (ST) को हासिल आरक्षण को निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी बनाने की कोशिशों में जुटे हैं।
ओबीसी गणना की बसपा की मांग को दोहराते हुए मायावती ने एक बयान में कहा, “इससे इनकार करने वाले उसी आरक्षण विरोधी संकीर्ण जातिवादी सोच के लोग हैं, जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को हासिल आरक्षण को निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी बनाने का लगातार षड्यंत्र कर रहे हैं तथा इन वर्गों के खाली पड़े आरक्षित पदों को भी नहीं भर रहे हैं। इस कारण नीति निर्धारण में ‘बहुजन समाज’ के लोगों की कोई भूमिका नहीं होती है।”
उन्होंने कहा, “सामाजिक न्याय और बहुप्रचारित ’विकास’ के इनके लंबे-चौड़े दावों का वास्तविक हकदारों और जरूरतमंदों को थोड़ा-सा भी लाभ नहीं मिल पाता है। ऊपर से बढ़ती महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी और सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य आदि बुनियादी जरूरतों की बदहाली का सबसे बुरा प्रभाव ‘बहुजन समाज’ तथा अगड़ी जाति के गरीबों को ही झेलना पड़ता है, जिसके लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकारें कसूरवार हैं।”
मायावती ने कहा कि वैसे तो घोर जातिवादी एवं आरक्षण विरोधी पार्टियां, खासकर भाजपा और कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव से पहले वोटों के स्वार्थ के चलते खुद को उनका हितैषी दिखाने की होड़ में जुटी हैं, लेकिन दलितों/आदिवासियों के साथ बहुजन समाज के खास हिस्से ओबीसी व धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों एवं कल्याण तथा उनके संवैधानिक हक को लेकर बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के बाद मान्यवर कांशीराम जी का संघर्ष बेहतरीन व बेमिसाल रहा है।
बसपा नेता ने सोमवार को पार्टी संस्थापक कांशीराम को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की। उन्होंने लखनऊ में कांशीराम की भव्य प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और फूल चढ़ाए।
मायावती ने कहा कि कांशीराम ने ‘बहुजन समाज’ को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने और अपने पैरों पर खड़ा होने में उसकी मदद करने के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में मायावती ने कहा कि कांशीराम के संघर्ष की बदौलत ही बसपा उत्तर प्रदेश में चार बार सत्ता में आई।
बसपा प्रमुख ने कहा, ‘‘...बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के स्वाभिमान आंदोलन को जीवित रखने वाले मान्यवर कांशीराम जी को आज उनकी पुण्यतिथि पर शत-शत नमन।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांशीराम ने ‘बहुजन समाज’ को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। उनके संघर्ष के कारण उत्तर प्रदेश में बसपा की चार बार सरकार बनी और सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति की मजबूत नींव रखी गई।”
मायावती ने कहा कि देशभर में बसपा के लोग ‘‘बहुजन नायक’’ को याद करते हैं और पार्टी कांशीराम के मिशन को पूरा करेगी, जिसके लिए संघर्ष जारी है।
पंजाब के रूपनगर में 15 मार्च 1934 को जन्मे कांशीराम ने पिछड़े वर्गों के उत्थान और राजनीतिक एकजुटता के लिए काम किया। उन्होंने 1971 में दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएस-4), अखिल भारतीय पिछड़ा (एससी/एसटी/ओबीसी) और अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी महासंघ (बीएएमसीईएफ) और 1984 में बीएसपी की स्थापना की। नौ अक्टूबर 2006 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।
कांशीराम 1996 से 1998 तक पंजाब के होशियारपुर से और 1991 से 1996 तक उत्तर प्रदेश के इटावा से लोकसभा सांसद रहे। वह 1998 से 2004 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे।
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