पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बजाय पूर्वांचल से हो चुनाव की शुरूआत - भाजपा ने चुनाव आयोग से की मांग
भाजपा ने चुनाव आयोग से उत्तर प्रदेश में इस बार विधान सभा का चुनाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बजाय पूर्वांचल से शुरू करने की मांग की है।
![]() चुनाव आयोग |
सूत्रों के मुताबिक, विधान सभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए हाल ही में उत्तर प्रदेश के दौरे पर गए चुनाव आयोग की टीम से मुलाकात के दौरान भाजपा ने यह मांग की थी कि राज्य में इस बार विधान सभा चुनाव के लिए मतदान की शुरूआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बजाय पूर्वांचल यानि पूर्वी उत्तर प्रदेश से हो। (18:53)
बताया जा रहा है कि मुख्य चुनाव आयुक्त के नेतृत्व में लखनऊ गई टीम से मुलाकात के दौरान भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि राज्य में पिछले कई दशकों से विधान सभा और लोक सभा, दोनों ही चुनावों की शुरूआत प्रदेश के पश्चिमी हिस्से से होती आई है और चुनाव आयोग को इस बार इस परंपरा में बदलाव लाना चाहिए।
दरअसल, भाजपा की इस मांग के पीछे पार्टी की एक बड़ी रणनीति काम कर रही है। 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश के हर हिस्से में बढ़त हासिल हुई थी, लेकिन इस बार किसानों के आंदोलन और जाट समुदाय के रवैये को लेकर भाजपा थोड़ी सशंकित है। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के गठबंधन ने भी चिंताएं बढ़ा दी हैं। हालांकि सार्वजनिक रूप से भाजपा के तमाम नेता यही दावा कर रहे हैं कि किसानों में कहीं कोई भी नाराजगी नहीं है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाट समाजवादी पार्टी को वोट नहीं कर सकता है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा इस बार चुनाव की शुरूआत पूर्वांचल से करवाना चाहती है।
सूत्रों की माने तो इस मांग के पीछे कई फैक्टर काम कर रहे हैं। पार्टी को यह लगता है कि सबसे आखिरी चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव होने से पार्टी को तैयारी के लिए एक महीने से अधिक का समय और मिल जाएगा। प्रदेश में लंबे चुनावी अभियान की वजह से पार्टी को किसान और जाट समुदाय को लुभाने का मौका कई बार और बार-बार मिलेगा।
लेकिन इस मांग के पीछे सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि पूर्वांचल में पार्टी के पक्ष में पड़े भारी मतदान का असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं पर भी पड़ना तय है और भाजपा को लगता है कि उस सूरत में किसान और जाट समुदाय को पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित करने में आसानी होगी।
आपको बता दें कि 2017 में उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में मतदान हुआ था। पहले चरण में 11 फरवरी , 2017 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की 73 सीटों पर वोट डाले गए थे जबकि पूर्वांचल के जिलों में आखिरी दो चरण यानि छठे और 7वें चरण में वोट डाले गए थे ।
अगर भाजपा की अपील को चुनाव आयोग ने स्वीकार कर लिया तो इस बार पूर्वांचल के मतदाताओं को मतदान करने का मौका सबसे पहले मिलेगा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को इसके लिए आखिरी चरण तक का इंतजार करना पड़ेगा।
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