शाह बाबा की दरगाह के पास अलॉट की गई मस्जिद की जमीन

Last Updated 07 Aug 2020 02:54:33 AM IST

अयोध्या की चकाचौंध से करीब 10 किलोमीटर दूर धनीपुर और रोन्हाई गांव में बाबरी मस्जिद के लिए अलॉट की गई 5 एकड़ जमीन जहां एलॉट की गई है वहीं एक पुरानी दरगाह भी है।


शाह बाबा की दरगाह के पास अलॉट की गई मस्जिद की जमीन

स्थानीय लोगों में उत्साह सा है। बुजुगरे को इतना पता है कि यहां अयोध्या वाली जमीन अल्ॉाट की गई है, लेकिन युवाओं को इससे भी मतलब नहीं है। पिछड़ेपन का आलम यह है कि प्रधानमंत्री राम मंदिर भूमि पूजन के लिए अयोध्या आए इसकी भी जानकारी उन्हें नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ-फैजाबाद हाइवे से सटे धनीपुर गांव में बाबरी मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन अलॉट की है। इस जमीन पर शारद शाह बाबा की पुरानी मजार बनी हुई है। बृहस्पतिवार को यहां बाबा का मेला लगता है और मुसलमानों से ज्यादा हिंदू चादर चढ़ाने आते हैं। इस जमीन पर अभी धान की खेती हो रही है। सरकार की तरफ से ठेका दिया गया है और ठेकेदार ने एक परिवार को खेती की देखरेख के लिए यहां नियुक्त किया हुआ है। यह क्षेत्र अयोध्या फैजाबाद में ही आता है। जमीन के एक तरफ रोन्हाई गांव है तो दूसरी तरफ धन्नीपुर है। आसपास जरगपुर, कोला, शेखपुर, चिर्रे और बेनीपुर हैं। मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। बीच में हिंदू आबादी भी है। दोनों समुदायों में भाईचारा है।

अयोध्या से बाहर मंदिर-मस्जिद विवाद जितना चर्चा में है, यहां उतना ही शांत है। यहां के लोगों को इस विवाद से बहुत मतलब नहीं है। गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा है। मुस्लिम आबादी अधिकतर मदरसों में पढ़ाई कर रही है। सरकारी प्राथमिक स्कूल है, इंटरमीडिएट स्कूल भी है और कॉलेज 5 किलोमीटर दूर है। उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ या बाहर जाना पड़ेगा। लोग खेती पर निर्भर हैं। रोजगार के लिए शहरों में जाना पड़ता है। जमीन की सरकारी चारदीवारी हो रखी है, लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अभी उसको टेकओवर नहीं किया है। सुन्नी बोर्ड की तरफ से एक ट्रस्ट जरूर बन गया है, लेकिन स्थानीय लोगों को उसकी भी जानकारी नहीं है। रोन्हाई गांव के 20 साल के राशिद मिर्जा बताते हैं कि यह जमीन बड़ी मस्जिद के लिए अलॉट की गई है, इससे आगे कुछ नहीं जानते। अयोध्या में मंदिर बनने के सवाल पर कहते हैं कि अच्छा हुआ झगड़ा तो खत्म हुआ। सैफ कुरैशी असलम कहते हैं कि यहां तो कभी झगड़ा था ही नहीं, यह तो बाहर वाले हैं, जो झगड़ा करते हैं।
छोटे बच्चों का झुंड आसपास घूमता रहता है। बच्चे पेड़ों के नीचे खेलने में व्यस्त हैं। पिछड़ेपन के कारण जागरूकता नहीं है और इसी कारण आंखों में ऊंचे सपने भी नहीं हैं। बच्चे इतने में ही खुश हैं कि वे मदरसे में पढ़ने जाते हैं। एक युवा दिल्ली में टेलरिंग का काम करता है। लॉकडाउन के कारण अपने गांव आया हुआ है। वह भी बच्चों को समझाते हैं कि डॉक्टर, इंजीनियर या बड़ा अफसर बनना है तो अच्छे स्कूलों में पढ़ना पड़ेगा। इस पूरे इलाके की सबसे अच्छी बात यही लगी कि यहां न मस्जिद टूटने का गम है, न मंदिर बनने की खुशी है। जितनी चमक-दमक और रौनक अयोध्या में है, उसका इस इलाके में रत्ती भर भी असर नहीं है। यहां के लोगों की जीवन्चर्या रोजाना की तरह शांत है और लोग अपने में मस्त हैं।

सहारा न्यूज ब्यूरो/रोशन
अयोध्या


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