पश्चिमी यूपी के जंगल में देखा गया लुप्तप्राय बारहसिंगा

Last Updated 02 Jul 2020 02:54:13 PM IST

एक समय अवध शिकार के लिए कुख्यात, दिल्ली-देहरादून हाईवे के बीच में स्थित शहर मुजफ्फरनगर एक बार फिर प्रकृति का स्वर्ग बन गया है। यहां कुछ दिन पहले ही दुर्लभ बारहसिंगा के एक झुंड को देखा गया है।


उत्तर भारत में पायी जाने वाली यह दुर्लभ प्रजाति कई देशों से विलुप्त हो चुकी है और इसे देखा जाना एक सुखद आश्चर्य है।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर रेंज के कमीश्नर संजय कुमार ने कहा, "मैं इस रविवार को निरीक्षण कर रहा था, तब मैंने जानसठ (मुजफ्फरनगर में एक तहसील) के समीप लुप्तप्राय बारहसिंगा के एक बड़े झुंड को देखा। "

उन्होंने कहा, "अगले दिन हमारे विशेषज्ञों की टीम ने 143 बारहसिंगा को देखा। हमने एक खजाने को तलाश लिया।"

शिकारियों ने कुछ दशक पहले इस प्रजाति का शिकार किया था और इसे पश्चिमी उत्तरप्रदेश की आर्द्रभूमि और हिमालय की सीमा से लगे तराई क्षेत्रों से लगभग समाप्त कर दिया था।

आर्द्रभूमि के पास इस तरह के और बारहसिंगा को देखने के लिए वन्यजीव विशेषज्ञों को ड्रोन लगे कैमरे प्रदान किए गए हैं। इन्होंने कहा हो सकता है कि ये बारहसिंगा हरिद्वार में राजाजी नेशनल पार्क के झिलमिल तलाब के पास से माइग्रेट हो कर यहां आए होंगे।

बुधवार सुबह तक 150 बारहसिगा देखे गए। इसके साथ ही अच्छी संख्या में हिरण के बच्चे को भी देखे गए। वहीं अब तक ड्रोन की मदद से हैदरपुर की इस 18000 हेक्टेयर में फैली आर्द्रभूमि में देखे जाने वाले हिरणों की कुल संख्या 250 से ज्यादा हो सकती है।

वास्तव में, हैदरपुर आद्रभूमि पक्षियों की 290 प्रजातियों का घर है। हर साल यह जगह भूरे पांव वाली बत्तख और काले व सफेद सिर वाली बत्तखों के बड़े झुंड का घर बन जाती है।

एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय कुमार ने कहा, "हैदरपुर में इस तरह की जैव विविधता को देखते हुए, इस जगह को एक 'रामसर साइट (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि)' घोषित करने का प्रस्ताव भेजा गया है। लेकिन अब बड़ी संख्या में बारहसिगा को देख जाने के बाद हम यह भी चाहते हैं कि इसे बारहसिंगा राष्ट्रीय संरक्षण रिजर्व घोषित कर दिया जाए। मैं आपको एक और मजेदार बात बताता हूं। बारहसिंगा उत्तर प्रदेश राज्य का राजकीय पशु भी है।"

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत, बारहसिंगा के शिकार पर रोक होने के बावजूद शिकारियों ने बड़ी संख्या में बारहसिंगा का शिकार किया है। चार दशक पहले जब बारहसिंगा की संख्या घटकर 66 रह गयी थी, तब मध्य प्रदेश ने इस दुर्लभ प्रजाति की रक्षा के लिए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षण कार्य शुरू किया था।

इसी तरह का प्रयास उत्तर प्रदेश सरकार ने भी किया था, जिसने दलदली आर्द्रभूमि में रहने वाले इस जीव को नया जीवन प्रदान किया।

योगी आदित्यनाथ सरकार सहारनपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले 33,000 एकड़ के शिवालिक वन रिजर्व को टाइगर रिजर्व घोषिण करने के बारे में भी विचार कर रही है।

कैमरा द्वारा पता लगाए जाने के आधार पर, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से लगे वन रिजर्व के पास बाघों की हलचल को देखा गया है। जनगणना-2018 से पता चला कि उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या 173 है, जबकि पड़ोसी उत्तराखंड में इसकी संख्या 442 है, जिनमें से अधिकतर बाघ जिम कार्बेट और राजाजी राष्ट्रीय पार्क में देखे गए हैं।

आईएएनएस
मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment