BHU ने बनाया 5M एंटी माइक्रोबियल मल्टीलेयर मास्क

Last Updated 05 Jun 2020 12:41:11 PM IST

कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना कारगर हथियार बन गया है।


इसे लेकर लोग सजग भी हैं। इसी क्रम में भारतीय प्रोद्योगिकी (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) ने 5एम एंटी माइक्रोबियल मल्टीलेयर फेस मास्क बनाया है। संस्थान ने दावा किया है कि यह देश में अपनी तरह का पहला मास्क है, जिसकी बाहरी सतह पर कोरोना तो क्या कोई भी वायरस टिक नहीं पाएगा। इसे 5-एम ऐंटी माइक्रोबियल मल्टीलेयर फेस मास्क नाम दिया गया है। इसकी कीमत बाजार में उपलब्ध एन-95 मास्क से भी कम है।

इस फेस मास्क की बाहरी सतह पर एंटी-बैक्टीरियल कोटिंग लगी है, जिससे वायरस और अन्य सूक्ष्म जीवाणु खुद व खुद समाप्त हो जाएंगे। मास्क की सतह पर हाइड्रोफोबिक सतह होने की वजह से यह वायरस युक्त ड्रॉपलेट्स (पानी की छोटी-छोटी बूंदें) को टिकने नहीं देगा।

संस्थान स्थित स्कूल ऑफ बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मार्शल और उनकी टीम ने इस मास्क का निर्माण किया है।

डॉ. मार्शल ने आईएएनएस से कहा, "वर्तमान में बाजार में उपलब्ध ज्यादातर मास्क साधारण हैं और जो बेहतर मास्क की श्रेणी में आते भी हैं, उनकी बाहरी सतह पर सूक्ष्म जीवाणु चिपके ही रहेंगे, जिससे संक्रमण होने का खतरा बना ही रहेगा। लेकिन यह मास्क प्रोटिनेटेड अमीन मैट्रिक्स के साथ संयुग्मित नैनोमेटल की विभिन्न परतों की मदद से बना है। जिससे विषाणु मर जाएंगे।"

डॉ. मार्शल ने आगे कहा, "मास्क तैयार करने पर करीब सौ रुपये खर्च आ रहा है। बड़े पैमाने पर तैयार किए जाने पर इसकी कीमत और कम हो सकती है। फिलहाल आईआईटी में ऐसे दो हजार मास्क तैयार किए जा रहे हैं। स्टार्टअप कंपनी के जरिए आमजन के लिए इसे बाजार में लाने की तैयारी है।"

बीएचयू आईआईटी के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के असोसिएट प्रफेसर मार्शल व उनकी टीम ने एक महीने की मेहनत के बाद यह फेस मास्क तैयार किया है। लैब में इसकी टेस्टिंग भी हो चुकी है।

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 से लड़ने के लिए संस्थान अपनी सामाजिक दायित्वों का निर्वाह पूरी लगन से कर रहा है।
 

आईएएनएस
वाराणसी


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