लखनऊ के डॉक्टर का जज्बा: कोरोना से हुए ठीक, अब जल्द लौटना चाहते हैं ड्यूटी पर
लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में कोरोना वायरस संक्रमित पहले रेजीडेंट डॉक्टर को 21 दिन बाद मंगलवार शाम को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी और वह 14 दिन का पृथकवास समाप्त करने के बाद वापस ड्यूटी पर लौटना चाहते हैं।
(प्रतीकात्मक तस्वीर) |
केजीएमयू के रेजीडेंट डॉक्टर तौसीफ एच खान अभी स्नातकोत्तर (पीजी) की तैयारी कर रहे हैं। वह केजीएमयू में कनाडा से आयी कोरोना वायरस संक्रमित महिला डॉक्टर का इलाज कर रहे थे, उसी दौरान वह इससे संक्रमित हो गए थे।
डॉ. खान ने मंगलवार शाम अस्पताल से ठीक होकर निकलने के बाद कहा, ‘‘जैसे ही मेरे इलाज के बाद का 14 दिन का पृथकवास (आइसोलेशन) समाप्त होगा मैं मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध हो जाऊंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘11 मार्च को विदेश से आई महिला डॉक्टर कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद केजीएमयू के पृथक वार्ड में भर्ती होने वाली पहली मरीज थी। उनका उपचार करने वाले डॉक्टरों की टीम में मैं भी शामिल था। 16 मार्च को अचानक मेरी नाक से पानी निकलने लगा और गले में खराश होने लगी। यह बात मैंने अपने वरिष्ठ चिकित्सकों को बताई तो उन्होंने मेरी जांच करवायी और मैं कोरोना वायरस से संक्रमित निकला। मेरे साथ काम कर रहे मेरे वरिष्ठ चिकित्सक परेशान हो गये और मुझे 17 मार्च को पृथक वार्ड में भर्ती कराया गया।''
डॉ. खान ने कहा, ‘‘मैं बेहतर इलाज और इतनी जल्दी ठीक होने के लिये खुदा के बाद, केजीएमयू प्रशासन और देश और प्रदेश की सरकार का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।''
उन्होंने कहा कि शुरुआत में उनके रिश्तेदार उन्हें खाना आदि देने केजीएमयू आते थे। लेकिन जब उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण निकला तो उनके इन सभी रिश्तेदारों की भी जांच की गई और उनमें से तीन कोरोना वायरस से संक्रमित निकले।
डॉ. खान ने कहा, ‘‘उन सभी का इलाज अभी केजीएमयू में चल रहा है और वह भी जल्दी ही ठीक हो जाएंगे।’’
यह पूछने पर कि क्या वह पृथक वार्ड में फिर से काम करना पसंद करेंगे, उन्होंने कहा कि मैं पहले घर पर 14 दिन का पृथकवास बिताऊंगा और उसके बाद फिर ड्यूटी के लिए तैयार होकर वापस लौटूंगा।
यह पूछने पर कि अस्पताल के पृथक वार्ड में भर्ती होने के दौरान 21 दिन उन्होंने कैसे व्यतीत किये तो डॉ. खान ने कहा, ‘‘मैं सुबह पांच बजे उठकर नमाज पढ़ता था, उसके बाद फिर सो जाता था । फिर करीब नौ बजे उठता था और अस्पताल द्वारा उपलब्ध नाश्ता करता था। इसके बाद डॉक्टरों की टीम मेरा परीक्षण करने आती थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि अभी मैंने एमबीबीएस किया है और मैं पोस्टग्रेजुएट परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं तो इस दौरान खाली समय में मुझे अपनी परीक्षा की तैयारी के लिये भी काफी समय मिला।''
उन्होंने बताया, ‘‘पृथक वार्ड में भर्ती अन्य मरीज बहुत घबराये हुये थे कि अब कुछ नहीं हो सकता लेकिन मैं फोन पर उन्हें नये-नये शोध के बारे में जानकारी देकर उनका उत्साह बढ़ाया करता था। मैं उनसे कहता था, अपने भगवान, अल्लाह के बाद केजीएमयू के डॉक्टरों पर भरोसा रखें और सब लोग ठीक होकर जल्दी से जल्दी अपने घर जायेंगे।''
डॉ. खान ने कहा, ‘‘हमारा देश एक विकासशील देश जरूर है लेकिन इसने इतनी तरक्की कर ली है कि अब हम किसी भी रोग को हरा सकते हैं। केजीएमयू में प्रदेश सरकार ने इतनी अच्छी सुविधायें उपलब्ध करा रखी हैं जो बहुत दूसरे देशों में भी शायद न हों।''
उन्होंने बताया कि केजीएमयू में प्रत्येक कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के लिये एक अलग कमरा है जहां टीवी के साथ खाने पीने और इलाज की सभी सुविधायें मौजूद हैं।
कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों और पृथकवास में रह रहे लोगों को सलाह देते हुए डॉ. खान ने कहा, ‘‘स्वस्थ रहने के लिये जरूरी है कि आप किसी से भी दूरी बना कर रखें, साफ सफाई का ध्यान रखें, अच्छा खाना खायें, डॉक्टर जो सलाह दें उस पर अमल करें और उम्मीद न छोड़ें।''
यह पूछने पर कि क्या वह दोबारा अस्पताल के पृथक वार्ड में ड्यूटी करना पसंद करेंगे इस पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं चौदह दिन घर में बिताकर एक बार फिर ड्यूटी पर हाजिर हो जाऊंगा क्योंकि अब कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को मुझसे बेहतर कोई नहीं समझा सकता, क्योंकि मैं इससे पीड़ित जो रहा हूं।''
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