सबरीमला मंदिर में आस्था की रक्षा को होगा आंदोलन
कुंभ मेला क्षेत्र में विश्व हिन्दू परिषद धर्मसंसद में सबरीमला मंदिर में परम्परा व आस्था की रक्षा का समर्थन और हिन्दू समाज के विघटन के षडयंत्र का संगठित होकर प्रतिकार करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत |
संतों ने केरल की वामपंथी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सबरीमला मामले में राम मंदिर की तरह आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी दी। अयोध्या में राम मंदिर प्रकरण पर धर्म संसद शुक्रवार को निर्णय लेगी।
विश्व हिन्दू परिषद की बहुप्रतीक्षित दो दिवसीय धर्मसंसद गुरुवार को कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 14 में स्थित शिविर में शुरू हुई। देश के प्रमुख संत-महात्माओं और बड़ी तादाद में विहिप कार्यकर्ताओं की उपस्थिति धर्मसंसद में दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किये गये। पहला प्रस्ताव शबरीमला में हिन्दू परम्परा की रक्षा करने का संघर्ष तथा दूसरा हिन्दू समाज के विघटन के षडयंत्र से निपटने की कार्ययोजना तैयार करने का रहा। पहला प्रस्ताव विश्व हिन्दू परिषद मार्गदर्शक मण्डल के वरिष्ठ सदस्य स्वामी परमात्मानंद ने रखा। उन्होंने कहा कि ऋषियों व मुनियों द्वारा स्थापित सबरीमला सहित भारत में स्थित प्रत्येक मंदिर का अपना इतिहास व विशिष्टता रही है। पर कुछ वर्षो से देखने में आया है कि हिन्दू परम्पराओं के प्रति समाज अश्रद्धा और अविश्वास निर्माण कर अपमानित व कलंकित करने का कुप्रयास किया जा रहा है।
हिन्दू समाज को तोड़ने वालों से सतर्क रहें
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने सबरीमला विवाद को महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं अपितु कपट युद्ध का मामला करार दिया। उन्होंने कहा कि भगवान अयप्पा के भक्त हिन्दू समाज के अभिन्न अंग है। उनको संकट से मुक्ति दिलाने के लिए सम्पूर्ण हिन्दू समाज को जगाने की जरूरत है। श्री भागवत ने गुरुवार को विश्व हिन्दू परिषद की धर्मसंसद को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज को तोड़ने की नित नयी योजनाएं बनायी जा रही हैं।
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