मंदिर निर्माण के लिये राजस्थान से पत्थरों की तीसरी खेप अयोध्या पहुंची
अयोध्या में विवादित श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिये पत्थरों का लाने का सिलसिला राजस्थान से शुरू हो गया है.
![]() मंदिर निर्माण के लिये पत्थरों की तीसरी खेप अयोध्या पहुंची (फाइल फोटो) |
श्रीराम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई की तारीख मुकर्रर होने के बीच अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं. इसका परिणाम है कि मंदिर निर्माण के लिये यहाँ पत्थरों को लाने का सिलसिला तेज होने लगा है. उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद से पत्थरों की तीसरी खेप कल देर शाम यहां पहुँची.
विहिप के प्रांतीय मीडिया शरद शर्मा ने आज यहाँ बताया कि राजस्थान से तीन ट्रक चंदन के कलर पत्थर अयोध्या आये हैं जिन्हें रामसेवकपुरम् में उतरवाया गया है. प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद अब तक दस ट्रक पत्थर अर्थात करीब छह हजार घनफुट पत्थर आ चुके हैं. रामसेवकपुरम् कार्यशाला में बड़े-बड़े पत्थरों को काटने की मशीन लगी है जिसके माध्यम से पत्थर काटा जाता है और उसे फिर श्रीराम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला में तराशने के लिये भेजा जाता है.
उन्होंने बताया कि अयोध्या में अभी भी कई हजार घन फुट पत्थर लाये जाने शेष हैं. प्रस्तावित राम मंदिर मॉडल के अनुसार मंदिर निर्माण के लिये करीब एक लाख पचहत्तर हजार घनफुट पत्थरों की आवश्यकता है जिसमें से एक लाख घनफुट पत्थरों को तराशा जा चुका है.
श्रीराम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला के प्रभारी अन्नू भाई सोनकर का कहना है कि राम मंदिर निर्माण के लिये 212 स्तम्भ लगाये जाने हैं जिसमें पहली मंजिल पर 106 एवं दूसरी मंजिल पर 106 स्तम्भ लगेंगे. इन स्तम्भ खंभों के निर्माण कार्य पूर्ण कराया जा चुका है.
विहिप सूत्रों का कहना है कि मंदिर आंदोलन के समय वर्ष 1989-90 में देश के सवा लाख ग्राम सभाओं में शिलाओं के पूजन के साथ सवा-सवा रुपये की राशि मंदिर निर्माण के लिये रामभक्तों से एकत्र की गयी है जो यह राशि आठ करोड़ हो गयी थी. इस धनराशि के ब्याज से न्यास का कार्य चल रहा था, लेकिन बैंकों ने धीरे-धीरे ब्याज की दर घटानी शुरू की तो न्यास का कार्य बाधित होने लगा. फिलहाल विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंहल ने देश के बड़े दानदाताओं से धन के बजाय सीधे पत्थरों की मांग की थी जो आज पत्थर दान करने वालों की भी लम्बी कतार लग गयी है.
गौरतलब है कि सितम्बर 1990 में स्थापित श्रीराम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला में 90 कारीगरों द्वारा तराशी का काम किया जा रहा था जो अब तीन की संख्या में हैं. विहिप के प्रवक्ता ने बताया कि पत्थरों का राजस्थान से न आना भी कारीगरों की संख्या घटने का कारण है. लेकिन अब पत्थरों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है इसलिये पत्थरों को तराशने के लिये कारीगरों की संख्या भी बढ़ सकती है हालांकि कारीगरों की संख्या बढ़ाने और घटाने का कार्य श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य और पदाधिकारियों की बैठक में होता है.
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