सपा को चौथा झटका, डॉ अशोक बाजपेई ने भी दिया इस्तीफा
समाजवादी पार्टी (सपा) में इस्तीफा देने का दौर अभी थम नहीं रहा है. सपा को एक और झटका उस समय लगा जब यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, सरोजनी अग्रवाल के बाद पार्टी के महासचिव डॉ अशोक बाजपेई ने बुधवार को विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.
डा0 अशोक बाजपेई (फाइल फोटो) |
डॉ बाजपेई ने अपना इस्तीफा विधान परिषद के सभापति रमेश यादव को सौंपा. उनका कार्यकाल 30 जनवरी 2021 तक का था. माना जा रहा है कि डॉ बाजपेई भी भारतीय जनता पाटी (भाजपा) में शामिल होंगे.
सूत्रो ने बताया कि डॉ बाजपेई हरदोई के निवासी हैं. सपा नेता और राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल से उनका छत्तीस का आंकड़ा है. उन्हें सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता है.
उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल सपा के चार और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक सदस्य के इस्तीफे के बाद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके चार मंत्रियों का राज्य विधान परिषद में पहुंचने का रास्ता साफ नजर आ रहा है.
सपा के बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, सरोजनी अग्रवाल और डॉ अशोक बाजपेई तथा बसपा के ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे से विधान परिषद की पांच सीटें खाली हो गयी हैं. परिषद से इस्तीफा देने वाले सपा के तीन और बसपा के एक सदस्य पहले ही भाजपा में शामिल हो गये हैं.
इसके पहले गत 29 जुलाई को सपा से विधान परिषद के सदस्य और मुलायम सिंह यादव के करीबी यशवंत सिंह और बुक्कल नवाब सपा से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गये थे. इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वरिष्ठ नेता एवं विधान परिषद के सदस्य ठाकुर जयवीर सिंह भी बसपा से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हो गये जबकि सरोजनी अग्रवाल ने चार अगस्त को इस्तीफा देने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी.
दूसरी ओर, राजनीतिक गलियारों में इन इस्तीफों से अटकलें लगनी तेज हो गयी हैं कि विधान परिषद के रिक्त हो रही सीटों से योगी मंत्रिमंडल के वे मंत्री उच्च सदन में पहुंच सकते हैं जो अभी तक किसी सदन के सदस्य नहीं हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पांच मंत्री किसी विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी के सदस्य नहीं हैं.
योगी के साथ ही दोनों उपमुख्यमंत्रियो केशव प्रसाद मौर्य, डॉ दिनेश शर्मा समेत अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा और परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वतंत्र देव सिंह किसी सदन के सदस्य नहीं हैं. इन पांचों को 19 सितम्बर तक किसी न किसी सदन की सदस्यता ग्रहण कर लेनी होगी.
परिषद में पांच सदस्यों के इस्तीफे से सीटें रिक्त हुई हैं. इसके अलावा सपा के ही बनवारी सिंह यादव की मृत्यु हो जाने की वजह से भी एक सीट खाली हुई थी. सपा से इस्तीफा देने वाले पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी की सदस्यता को लेकर मामला सभापति के यहां लम्बित है.
सपा ने चौधरी की सदस्यता दल बदल कानून के तहत समाप्त करने के लिये याचिका दाखिल कर रखी है. चौधरी की यदि सदस्यता खारिज होती है तो उन पांचों मंत्रियो को विधान परिषद की सदस्यता मिल सकती है जो किसी सदन के सदस्य नहीं हैं. वैसे, बसपा के वरिष्ठ नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी की सदस्यता समाप्त किये जाने के लिए भी याचिका लम्बित है.
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