मुआवजे पर फूटा किसानों का गुस्सा, मांगें मानीं
करछना में जेपी ग्रुप के पावर प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहीत भूमि के मुआवजे की मांग को लेकर पिछले करीब छह माह से चल रहे आंदोलन ने शुक्रवार को अचानक हिंसक रूप ले लिया.
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इसमें एक किसान की मौत हो गयी और दो पुलिस अधिकारियों सहित कई लोग घायल हो गये. उग्र किसानों ने दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग के साथ इलाहाबाद-मिर्जापुर मार्ग पर जाम लगा दिया तथा दो सरकारी वाहनों में आग लगा दी. भारी फोर्स के साथ उग्र भीड़ को तितर-बितर करने पहुंचे अफसरों पर भी किसानों ने हल्ला बोल दिया. हालात काबू करने के लिए पुलिस व पीएसी के जवानों ने हवाई फायरिंग की, आंसु गैस के गोले दागे, लेकिन किसान पिछे नहीं हटे अन्तत: पुलिस व पीएसी के जवानों को ही मैदान छोड़कर भागना पड़ा. लाठी-बल्लम,कटवासे से लैस किसान देर शाम तक रेलवे लाइन और सड़क मार्ग पर कब्जा जमाये रहे. अफसर बसपा नेताओं के माध्यम से सुलह-समझौते की कोशिश में लगे रहे. रेल मार्ग जाम होने के कारण कई
महत्वपूर्ण ट्रेनें जहां तहां रुकी रहीं और कई के मार्ग बदल दिये गये. मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दक्षिण करछना तहसील में पावर प्रोजेक्ट के लिए आठ गांवों कचरी, कचरा, देवरीकला, देहली भगेसर, मेडरा, ठोलीपुर, भिटार और गढ़वा कला के किसानों की करीब 561 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की गयी है. करीब 80 फीसद किसानों को तीन लाख रुपये बीघे की दर से मुआवजे की राशि वितरित की जा चुकी है, लेकिन किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं. मुआवजे की दर 570 रुपये प्रति वर्गमीटर करने, नयी पुनर्वास नीति के मुताबिक सहूलियतें उपलब्ध कराने और प्रभावित किसानों के परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी देने की मांग को लेकर किसान पिछले जुलाई माह से आंदोलनरत हैं. वे पिछले 153 दिन से क्रमिक अनशन पर थे.
इस बीच कई किसानों ने तेरह दिन पहले से आमरण अनशन करना शुरू कर दिया था. शुक्रवार की सुबह अचानक स्थिति तब बिगड़ गयी, जब कई अधिकारी फोर्स के साथ अनशन स्थल पर पहुंचे और प्रमुख अनशनकारी दीनानाथ क्रांतिकारी सहित सात लोगों को जबरन उठा ले गये. इसके चलते किसान उत्तेजित हो गये और उन्होंने हावड़ा-दिल्ली रेल मार्ग के साथ इलाहाबाद-मिर्जापुर मार्ग पर जाम लगा दिया. जानकारी होने पर डीआईजी रामकुमार कुछ प्रशासनिक अधिकारियों और भारी तादाद में फोर्स लेकर वहां पहुंचे और उन्हें रेल मार्ग से किसानों को हटाने का प्रयास किया तो किसान हिंसक हो गये और पथराव करते हुए उन पर हल्ला बोल दिया.
उन्हें काबू में करने के लिए हवाई फायरिंग की गयी और आंसु गैस के गोले दागे गये पर मामला सुधरने की बजाय और बिगड़ता गया. किसानों के तेवर देख कुछ अफसरोें को गाड़ी छोड़कर भागना पड़ा. किसानों ने एडीएम नजूल के अलावा नैनी इंस्पेक्टर की गाड़ी में आग लगा दी. हमला बोलकर पीएसी के एक जवान को घायल कर दिया और उसकी रायफल छीन ले गये. भागने के दौरान एसपी गंगापार विनोद कुमार मिश्र एक गाड़ी की चपेट में आ गये और उनका पैर फ्रैक्चर हो गया. सीओ करछना आशुतोश मिश्र को भी पथराव में गंभीर चोटें आयीं. दोनों अधिकारियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस बीच फायरिंग व पथराव के दौरान गुलाब नामक एक किसान की भी जान चली गयी. स्थिति बिगड़ते देख आरएएफ की कई महिला जवान भागकर पास पावर हाउस पहुंची और खुद को एक कमरे में कैद कर लिया. रबर की गोलियों और भगदड़ में कई किसानों को भी चोटें आयी हैं. स्थिति देर शाम तक तनावपूर्ण बनी रही.
मौके पर मंडलायुक्त पीवी जगनमोहन, आईजी आरपी सिंह, डीएम संजय प्रसाद, डीआईजी रामकुमार सहित तमाम अधिकारी मौके से करीब दो किलोमीटर के फासले पर करछना की भीरपुर पुलिस चौकी पर भारी फोर्स के साथ जमे हुए थे. वे बसपा के कुछ नेताओं के मार्फत आंदोलनकारी किसानों से सुलह-समझौते की कोशिश में जुटे हुए हैं. देर शाम तक स्थिति जस की तस बनी रही. इस बीच डीआईजी रामकुमार ने कहा कि मृत किसान गुलाब चंद्र विश्वकर्मा का इस घटना से कोई वास्ता नहीं है, उसकी हार्ट अटैक के चलते मृत्यु हुई. उन्होंने बताया कि पीएसी के जवान की छीनी गयी रायफल मिल गयी है और किसानों से वार्ता का लगातार प्रयास किया जा रहा है. उधर किसानों का कहना है कि कृषक गुलाब रामपुर की ओर जा रहा था. इसी दौरान पुलिस के जवानों ने उसे पकड़ लिया और बंदूक के कुंदों से इस कदर पीटा कि उसकी मौत हो गयी. कुछ महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिस के जवानों ने उनके साथ बदसलूकी की.
मांगें मानीं
देर रात प्रशासनिक अधिकारियों ने आंदोलनकारी किसानों की मांगें मान ली. हमारे नैनी संवाददाता के मुताबिक अधिकारियों ने लिखित आश्वासन दिया है कि किसानों की अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा 570 वर्गमीटर की दर से दिया जाएगा और हर प्रभावित किसान के परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी. इसके अलावा आवास सुविधा व किसानों के खिलाफ मुकदमों को भी खत्म करने का आश्वासन दिया गया है.
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