राजस्थान की पश्चिमी सीमा पर ड्रोन बना चुनौती
पंजाब, जम्मू, कश्मीर में कई हमले और तस्करी के बने ड्रोन का खतरा अब राजस्थान से लगी पश्चिमी सीमा बढ़ रहा है।
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एक साल में 218 बार बॉर्डर के अलग-अलग हिस्सों में ड्रोन ने घुसपैठ हुई है। 24 वर्ष पूर्व बीएसएफ ने तारबंदी कर मानवीय घुसपैठ को आधा कर दिया था, लेकिन अब ड्रोन नई चुनौती हैं।
बीएसएफ भी इस चुनौती के लिए तैयार है। सभी बीओपी पर एंटी ड्रोन टीम तैनात कर दी है। हर टीम में चार जवान होते हैं। टीम के सटीक निशानेबाजों को 360 डिग्री घूमती एलएमजी दी गई हैं। ये सामने सीमा पार की जगह आसमान में नजरें गड़ाए तैयार रहते हैं। हालांकि इसमें खतरा यह है कि यदि ड्रोन में विस्फोट हो तो गोली मारने पर वह भी फट जाएगा। हालांकि बीएसएफ को जल्द रडार व साउंड प्रणाली वाले उपकरण भी दिए जाएंगे जो एयरफोर्स की तरह हर आसमानी हरकत पकड़ेंगे।
ड्रोन जैमर, हैकर, फ्रीक्वेंसी ब्रेकर भी आ रहे हैं। बीएसएफ, एयरफोर्स व अन्य सुरक्षा एजेंसियां छोटे ड्रोन को लेकर चिंतित हैं, जो सुरक्षा रडार में भी नहीं दिखते हैं। ये चीन निर्मिताडकप्टर और हेक्साकप्टर-ड्रोन हैं। चीनी कंपनी जीपीएस प्रणाली वाले टैरो 680 प्रो ड्रोन बनाती है। ये निर्धारित जगह जाकर खुद लौट आते हैं, रिमोट की जरूरत नहीं होती।
बीएसएफ के साथ पश्चिमी सीमा की बीओपी में तीन दिन बिताकर एंट्री ड्रोन मैकेनिज्म की तैयारी जानी। यहां बीओपी में इंटिग्रेटेड कंट्रोल रूप में एक जवान 24 घंटे कैमरों से ड्रोन व दुश्मन पर नजर रखता है। ड्यूटी पर तैनात जवान टीवी स्क्रीन पर लगातार नजर रखते हैं।
खासकर रात में संदिग्ध वस्तु दिखते ही सबसे पहले एंटी ड्रोन टीम को बताते हैं। जमीन पर कोई घुसपैठिया है तो संबंधित जवान को वायरलैस से सूचना देते हैं। हवा में कोई चमकीली वस्तु है तो उस बारे में सीधे एयरफोर्स के कंट्रोल रूम को बताते हैं। बड़ा खतरा होने पर एयरफोर्स एक्टिव हो जाती है।
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